इससे पहले न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ के सामने अशरफ ने कहा कि उन्होंने विधि मंत्री फारुक नाइक को 2007 के आखिर में तत्कालीन अटॉर्नी जनरल मलिक कयूम द्वारा लिखा गया पत्र रद्द करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने में असफल रहने की वजह से अवमानना के आरोपों का सामना करने के लिए अशरफ शीर्ष कोर्ट में पेश हुए थे। वे दूसरी बार अदालत के सामने पेश हुए थे। इससे पहले इस मामले में यूसुफ रजा गिलानी को जून में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जरदारी के भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला १९९क् के दशक का है।
2007 तत्कालीन अटॉर्नी जनरल मलिक कयूम ने स्विस अधिकारियों को जरदारी और बेनजीर भुट्टो के खिलाफ मामला बंद करने के लिए पत्र लिखा।
दिसंबर 2009 सुप्रीम कोर्ट ने मामले को फिर से खोलने के लिए सरकार पर दबाव बनाया। भ्रष्टाचार मामलों में माफी के लिए पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ द्वारा जारी अध्यादेश भी रद्द कर दिया।
अप्रैल 2012 तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने से किया इनकार।
19 जून 2012 गिलानी अदालत की अवमानना के दोषी करार।
27 जून 2012 शीर्ष कोर्ट ने नए प्रधानमंत्री को इस मामले में दो सप्ताह का वक्त दिया।
8 अगस्त 2012 कोर्ट ने प्रधानमंत्री रजा अशरफ को भी शो कॉज नोटिस जारी किया।
27 अगस्त 2012 अवमानना मामले में अदालत में हाजिर हुए अशरफ। सुनवाई की अगली तारीख 18 सितंबर तय की गई।