09/04/2010 जख्मों पर गमछा बांध लड़ते रहे जांबाज
जय हिन्द संवाद दंतेवाड़ा। घायल जवानों ने मरते दम तक मोर्चा नहीं छोड़ा और जख्मी होने के बावजूद लगातार तीन घंटे संघर्ष करते रहे। भूखे-प्यासे घायल जवान लगातार बाहर से मदद की गुहार करते रहे, लेकिन महज 4 किमी दूर स्थित सीआरपीएफ कैंप से कोई सहायता नहीं पहुँची। देश के नक्सली इतिहास की सबसे भयावह घटना की सच्चाई जानने जब 'नईदुनिया' का संवाददाता जंगल पहुँचा तो चारों ओर खून बिखरा नजर आया। वहाँ बिखरे पड़े जवानों के जूते, टोपी, मैग्जीन बेल्ट, पानी की बोतलें व दीगर सामान घटना की भयावहता बयान कर रहे थे। इस घटना में सीआरपीएफ जवानों ने देशभक्ति के जज्बे व बहादुरी की मिसाल भी कायम की है। घायलों को निकालने व शवों को लाने वाले ग्रामीणों के मुताबिक घायल जवान अपने जख्मों पर गमछा बाँधकर तीन घंटे तक नक्सलियों से संघर्ष करते रहे। बुधवार को घटनास्थल के पास ही स्थित चिंतलनार गाँव में सन्नाटा पसरा हुआ था। बीच-बीच में हेलिकॉप्टर की गडग़ड़ाहट ही यहाँ खामोशी तोड़ती रही। चिंतलनार सीआरपीएफ कैंप में बुधवार को नए जवानों की तैनाती कर दी गई। 15 शवों को सुबह हेलिकॉप्टर से निकाला गया। गाँव के गणेश सिंह, लल्लू आदि ने बताया कि रात में लगभग ढाई बजे जवानों ने गाँव में गश्त की थी। सुबह पौने 6 बजे जब उजाला होने लगा था तभी ताड़मेटला के जंगल से पहले फायरिंग व फिर लगातार ब्लास्ट की आवाज सुनी गई। इस बीच जवानों ने बैस कैंप से पीने का पानी माँगा। सुबह 7 बजे चिंतलनार से बख्तरबंद गाड़ी पानी लेकर मौके के लिए रवाना हुई। यह गाड़ी जैसे ही घटनास्थल के पास पहुँची, मुख्य मार्ग पर ही आईईडी ब्लास्ट कर वाहन को उड़ा दिया गया। वाहन में सिर्फ ड्राइवर था, जो मारा गया। इस घटना के बाद चिंतलनार से अतिरिक्त फोर्स भी रवाना हुई। नक्सलियों ने चिंतलनार व चिंतागुफा दोनों ओर एंबुश लगा रखा था। अतिरिक्त फोर्स दोनों ओर मुठभेड़ में फँसी रही। उधर, सड़क से आधा किमी अंदर जंगल में नक्सली जवानों का कत्लेआम करते रहे। घटनास्थल पर चीन में बने बमों के खोखे देखे गए हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि नक्सलियों ने इका इस्तेमाल किया है। केरल व गुजरात पर नजर: नक्सलवादियों ने एक तरह से देश के विभिन्न राज्यों के अविकसित क्षेत्रों को निशाना बनाना आरंभ कर दिया है। देश के गरीब राज्यों के अलावा अब उन्होंने साक्षर व आर्थिक रूप से संपन्न राज्यों में भी पैर पसारना आरंभ कर दिया है। गुजरात व केरल इसके उदाहरण हैं। दक्षिण गुजरात के दांग व तापी क्षेत्र से हाल ही में तीन लोगों को पकड़ा गया है। जनशक्ति मोर्चा नामक संस्था के इन सदस्यों पर यह आरोप है कि ये दक्षिण गुजरात में नक्सली गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे। केरल में भी मार्क्सवादियों की बड़ी संख्या रही है। नक्सली जानते हैं कि पढ़े-लिखे लोगों के गले वे अपनी बात नहीं उतार सकते। इस कारण उन्होंने देश के उन राज्यों और इलाकों को चुना है, जो गरीब हैं।
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