17/08/2013 यहां भी आ सकती थी उत्तराखण्ड जैसी तबाही
रायपुर। गुरुवार की रात रायपुर और उसके आसपास बादल फटने जैसे हालात पैदा हो गए थे। यहां वही सीबी क्लाउड (बादल) छाए हुए थे जिनकी वजह से उत्तराखंड में जलजला आया था।
आमतौर पर बारिश की रफ्तार 50 मिमी प्रति घंटा होती है, लेकिन गुरुवार को इसकी रफ्तार 120 मिमी प्रतिघंटा रही। आधे घंटे में ही तकरीबन 58 मिमी बारिश हुई। सीबी क्लाउड की वजह से ही दिल दहलाने वाली जबरदस्त गर्जना हो रही थी। लोग डर गए, सहम गए। आकाशवाणी और दूरदर्शन के प्रसारण पर भी इसका असर पड़ा। सुबह काफी देर तक प्रसारण प्रभावित हुआ। अगर बारिश की रफ्तार बढ़ जाती तो बादल फटने जैसे हालात होते। माना जाता है कि 200 मिमी प्रति घंटा की रफ्तार से बारिश हो तो बादल फट गया है। रात में जिस तरह से बिजली गर्जना कर रही थी और बारिश हो रही थी, लोग सहम गए थे। मौसम विज्ञानियों के अनुसार तीन से चार सीबी क्लाउड (क्यूमुलोनिंबस क्लाउड) की वजह से ये स्थिति बनी। 6 अगस्त को भी जो भारी बारिश हुई थी वह ऐसी ही सीबी क्लाउड की वजह से हुई थी। यह नैचुरल है। आमतौर पर ऐसी स्थिति शाम की तीन-चार बजे के आसपास होती है। राजधानी में गुरुवार-शुक्रवार की रात को सीबी क्लाउड बने। पहाड़ी वाले क्षेत्र में अगर इतना तगड़ा सीबी क्लाउड बना होता तो बादल फटने जैसी स्थिति बन जाती। तब भारी तबाही हो सकती थी।- डा. एएसआरएएस शास्त्री, कृषि मौसम वैज्ञानिक बादल गरजने या बिजली कड़कने का कोई मापक नहीं हैं। सीबी क्लाउड के कारण थंडर शावर शुरू होती है। इस दौरान बादल गरजने पर मैनुअल गणना कर ली जाती है। हालांकि हम इसे बहुत अधिक विश्वसनीय नहीं मान सकते। आब्जरवेटरी में उपस्थिति स्टाफ बादल गरजने की आवाज सुनकर उसे नोट करता है। कई बार एक साथ दो बार गरजन होती है।
|