24/07/2013 1.46 करोड़ मुआवजा
जम्मू : विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन कर बीएड कोर्स में दाखिला देने वाले दिव्या कॉलेज ऑफ एजुकेशन को सभी 292 विद्यार्थियों को मुआवजे के तौर पर 1.46 करोड़ रुपये देने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दिव्या कॉलेज प्रबंधन की अपील खारिज करते हुए जेएंडके हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
दिव्या कॉलेज ने विश्वविद्यालय की अनुमति के बिना विद्यार्थियों के दाखिले किए थे, जिन्हें बाद में यूनिवर्सिटी ने मान्यता देने से इन्कार कर दिया था। कॉलेज की ओर से विश्वविद्यालय के फैसले को निचली अदालत में चुनौती दी गई, लेकिन कोर्ट ने छह दिसंबर 2012 को सुनाए फैसले में विवि के निर्णय को सही करार दिया। कॉलेज ने हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में भी अपील दायर की थी, जिसे चार जून 2013 को खारिज कर दिया गया। बेंच के फैसले के बाद कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी जम्मू विश्वविद्यालय के फैसले को उचित करार देते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पटनायक व जस्टिस कलीफुल्लाह ने कॉलेज प्रबंधन को सभी 292 विद्यार्थियों को 50 हजार रुपये के हिसाब से मुआवजा देने के निर्देश दिए। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन को कुल 1,46,00,000 रुपये बतौर मुआवजा अदा करना होगा। बता दें कि जेएंडके हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि जब किसी कॉलेज को पंजीकृत किया जाता है तो इस बात की गारंटी नहीं दी जाती कि छात्रों का दाखिला होता रहेगा या भविष्य में कॉलेज छात्रों की कमी से वित्तीय तौर पर कमजोर नहीं होगा। बेंच ने कहा कि यह सभी पहलू कॉलेज को स्वयं देखने होते हैं, लेकिन कॉलेज की सीटें पूरी करने के लिए नियमों की उल्लंघन करके दाखिला नहीं दिया जा सकता। बेंच ने कहा कि अगर ऐसा किया जाए तो फिर विश्वविद्यालय द्वारा दी जाने वाली काउंसलिंग का क्या उद्देश्य रह जाएगा? बेंच ने कहा था कि विश्वविद्यालय मेरिट व काउंसलिंग के आधार पर छात्रों को कॉलेज अलाट करता है, ताकि छात्र अपनी इच्छानुसार कॉलेज का चुनाव कर सकें।
|