इस योजना के तहत किसानों को को-ब्रांडेड डेबिट कार्ड देने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य भी बन गया है। इस योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मुख्य प्रशासक टीवीएसएन प्रसाद ने बताया कि योजना के क्त्रियान्वन को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के अंतगर्त काम करने वाले नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया से करार हो चुका है। इस योजना में 18 बैंक शामिल हो चुके हैं जबकि दो-तीन अन्य बैंको से भी योजना में शामिल होने लिए आवेदन प्राप्त हुए है।
उन्होंने बताया कि किसानों को इस योजना के तहत को-ब्रांडेड डेबिट कार्ड निशुल्क दिए जाएंगे, जो किसी भी एटीएम मशीन पर इस्तेमाल किए जा सकेंगे। कार्ड पर एक स्मार्ट चिप भी लगी होगी। जैसे ही किसान मंडी में अपनी फसल को लेकर आएगा, उस फसल के वजन संबधी आंकडे स्मार्ट चिप में दर्ज हो जाएंगे। इसके बाद किसान आढती के जरिए जिस भी एंजैसी को अपनी फसल बेचेगा उसका पूरा ब्यौरा चिप में दर्ज हो जाएगा और उसके भुगतान के संबध में जानकारी संबधित बैंक में चली आएगी। इसके बाद किसान की फसल का भुगतान उसके खाते में जमा कर दिया जाएगा। इस योजना के लागू होने से फसलों की खरीद-फरोख्त के कार्य में पारदर्शिता आएगी। उन्होेंने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुडडा ने पिछले दिनो नाबार्ड के 32वें स्थापना दिवस के मौके पर पंचकुला में आयोजित एक कार्यक्त्रम में इस योजना को शुरू करने की घोषणा की थी।
श्री प्रसाद ने कहा कि इस योजना के साथ ही राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने हरियाणा के प्रगतिशील किसानों के लिए मार्केट ऑन व्हीलस नाम की एक और अनुठी योजना भी शुरू की है। यह योजना पॉलीहाउस में खेती करने वाले किसानों को मार्केट उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। बेहतर गुणवता के फल व सब्जियों की चाह रखने वाले लोग 1800-180-2060 टोल फ्री नम्बर पर कॉल करके अपनी मांग दर्ज करा सकते हैं जिसके कुछ समय बाद ही उन्हे वातानुकुलित गाड़ी के जरिए उनकी पसंद के फल व सब्जियां उपलब्ध कराई जाएंगी। फिलहाल इस योजना को चंडीगढ, पंचकुला और रोहतक में शुरू किया गया हैं और अगले चार सप्ताह में इसे गुडगांव में भी शुरू कर दिया जाएगा। उन्होेंने बताया कि बोर्ड ने प्रदेश की मंडियो के उचित रखरखाव के लिए स्थानीय स्तर पर मंडी विकास कोष गठित कर दिया है। इसके तहत जिस भी मंडी से मार्केट फीस इत्यादि के रूप में जो राशि वसूली जाएगी, उस राशि को उसी मंडी के रखरखाव पर खर्च किया जाएगा। मंडी विकास कोष के लिए स्थानीय स्तर पर ही एक कमेटी गठित होगी जिसमें किसान व आढ़तियों के प्रतिनिधियों के अलावा मार्केट सचिव भी शामिल होंगे, जबकि संबधित मंडी के इंजीनियर इस कोष के अध्यक्ष होंगे। जो यह फैसला करेंगे कि स्थापित कोष के पैसे को कहां और कैसे खर्च करना है। इस पहल से मंडियो के रखरखाव संबधी कार्यो में होने वाली देरी से निजात मिल जाएगी।