17/07/2013 इन कीटों के प्रति सचेत रहने की सलाह दी गई
चंडीगढ़, 17 जुलाई- चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कीट वैज्ञानिकों की टीम द्वारा प्रदेश के कपास उत्पादक क्षेत्रों के किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक कपास को नुकसान पहुंचाने वाले ज्यादातर कीटों की संख्या फिलहाल काफी कम है।
परंतु वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को इन कीटों के प्रति सचेत रहने की सलाह दी गई है। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय के कीट वैज्ञानिकों डॉ. पालाराम तथा डॉ. कृष्णा रोलानिया की टीम ने कपास की फसल पर कीटों के प्रकोप का जायज़ा लेने के लिए हाल ही में प्रदेश के कपास उत्पादक हिसार, फतेहाबाद तथा सिरसा जिलों के 18 गांवों के 36 खेतों का सर्वेक्षण किया जिसमें पाया गया कि कपास में लीफ हॉपर कीट के निंफ व प्रौढ़ों की संख्या आर्थिक कगार से काफी कम है जबकि सफेद मक्खी के प्रौढ़ों की संख्या बरवाला, मोहम्मदपुर रोही तथा भोडिया खेड़ा गांवों को छोड़ शेष सभी गांवों में आर्थिक कगार से कम पाई गई है। सोलनोपसिस मीलीबग की उपस्थिति केवल तीन खेतों में नाम मात्र दर्ज की गई है जबकि इसकी एक अन्य प्रजाति-ड्रोसिका का प्रकोप केवल चिंधड़ गांव के खेत में सड़क के साथ लगते पौधों पर ही देखा गया है। वैज्ञानिकों ने यह सर्वेक्षण रिपोर्ट विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.एस. सिवाच को सौंपी है। प्रवक्ता ने बताया कि फिलहाल कपास में मीलीबग कीट का प्रकोप बढ़ने की संभावना नहीं है क्योंकि इस रिपोर्ट के मुताबिक सभी प्रभावित पौधों पर मीलीबग के साथ एनासियस नामक परजीवी भी उपस्थित है जो मीलीबग को नष्ट कर देगा। किसानों को मीलीबग के लिए कीटनाशक दवा का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है।
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