प्रदीप को 10 वर्ष की सजा मिली थी जिसे उच्च न्यायालय ने घटाकर छह वर्ष कर दिया है। प्रदीप इसी साल 15 अगस्त को जेल से रिहा हो जाएगा। हरियाणा के रहने वाले प्रदीप ने कहा कि पिछले छह साल में उसने हर दिन अपनी गलती के लिए पश्चाताप किया। प्रदीप ने इसी जेल में रहते हुए 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की है और अब वह राजधानी की एक ऑटोमोबाइल कंपनी में 10,000 रूप, मासिक वेतन पर काम करेगा।
तिहाड़ जेल के प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने बताया कि ऑटोमोबाइल कंपनी डीडी एफईबी ने इस नौकरी के लिए प्रदीप का चयन नौ अप्रेल को किया था। प्रदीप को अच्छे व्यवहार के लिए सितंबर 2012 में श्रम मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत भी किया जा चुका है। इसी तरह 35 वर्षीय अक्षय चैहान और 38 वर्षीय कौशल किशोर गुप्ता ने भी तिहाड़ में रहकर नया मुकाम हासिल किया।
अक्षय ने तिहाड़ जेल में रहते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) से फार्मेसी में डिप्लोमा किया है और अब वह एरिज मीडिया प्राइवेट लिमिटेड जो कि एक मीडिया हाउस है, में सीनियर मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव के पद पर 300,000 रूपए सालाना के पैकेज पर काम करेगा।
वर्ष 2012 में तिहाड़ जेल ने एक रिकॉर्ड कायम किया था, जब यहां के 142 कैदी निजी कंपनियों में चयनित हुए थे जिसमें तीन को 360,000 रूपए सालाना का पैकेज ऑफर किया गया था। तिहाड़ जेल में कैम्पस चयन की मुहिम एम.के. द्विवेदी ने चलाई थी।
ये कार्यक्रम फरवरी 2010 में कैदियों की रिहाई के बाद उनके पुर्नवास कार्यक्रम के तहत शुरू किया गया था। जेल अधिकारियोें के अनुसार, अब तक विभिन्न कॉरपोरेट हाउसों में तिहाड़ जेल के 372 कैदियों को रोजगार मिल चुका है।