24/05/2013 सड़क क्षेत्र के विकास में बाधाएं दूर की गईं
नई दिल्ली:निवेश पर मंत्रिमंडल समिति को सूचित किया गया है कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कुछ राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजनाओं को तेजी से लागू करने में कठिनाइयों की पहचान की और उन्हें अब मंत्रालय की कोशिशों से दूर कर दिया गया है।
कई बाधाओं जिनका निराकरण नहीं हो पाया, को दूर करने के लिए अन्य मंत्रालय कार्य कर रहे हैं। डॉ.कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन, सदस्य, योजना आयोग की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई जिसने इन बाधाओं को दूर करने के आसान तरीके सुझाये। मुख्य-मुख्य बाधाएं जिनकी पहचान की गई, निम्नलिखित हैं:- 1) वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत अनापत्ति प्रमाण पत्र- इसकी व्यवस्था राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना को सुदृढ़ बनाने के लिए की गई। 2) लाइनियर परियोजनाओं के लिए पर्यावरण अनुमति को वन विभाग की अनुमति से अलग कर दिया गया। 3) राष्ट्रीय राजमार्ग और गैर वन क्षेत्रों में चौड़ी करने को मूल सुविधा परियोजनाओं से अलग माना गया। 4) एनएचडीपी फेस-4 के अंतर्गत चार लेनों में बदलने की अधिकतम सीमा चार हजार किलोमीटर से बढ़ाकर आठ हजार किलोमीटर कर दी गई और उन्हें बनाओ, चलाओ और स्थानांतरित कर दो के मोड पर कर दिया गया। इसका आधार भारतीय सड़क कांग्रेस के मार्गदर्शक नियम बनाये गए। 5) बी.के चतुर्वेदी समिति ने जिस तंत्र की सिफारिश की थी, उसके अंतर्गत सड़क की अधिकतम लम्बाई 5000-10,000 के बीच पड़ती है।
6) पिछले वर्ष 2012-13 के दौरान ईपीसी आधार पर 4000 किलोमीटर सड़कों का उच्चीकरण किया गया। 7) पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) परियोजनाओं के मामले में उधार देने वालों को जितनी ऋण राशि देय होगी उसे जमानती ऋण माना जायेगा। मूल सुविधा विकास से देशभर के राजमार्ग उपभोक्ताओं को फायदा होगा। इससे उनका आर्थिक सामाजिक विकास होगा और दूर-दराज के इलाकों तक संपर्क बढ़ेगा। इससे रोजगार संभावनाएं भी बढ़ने की उम्मीद है।
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