इन दोनों बुकीज संजय छाबड़ा और उसका भाई पवन छाबड़ा की मुंबई पुलिस को तलाश थी। जब क्राइम ब्रांच ने बुकी प्रेम तरनेजा को गिरफ्तार किया तब इस बात का खुलासा हुआ। सोमवार की रात तरनेजा भी दुबई भाग रहा था लेकिन ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने उसे मुंबई के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बोर्डिग गेट से पकड़ लिया।
प्लेन में बैठने से कुछ मिनट पहले ही तरनेजा को गिरफ्तार किया गया। तरनेजा मुंबई का बहुत बड़ा सटोरिया है। तरनेजा ने पूछताछ में बताया कि विंदू ने 16 मई को छाबड़ा बंधुओं के दुबई भागने का इंतजाम किया था। उस वक्त पूरे देश में बुकीज को पकड़ा जा रहा था,इसलिए छाबड़ा बंधु दुबई भाग गए।
क्राइम ब्रांच का ध्यान विंदू पर उस वक्त गया जब 13 मई को सटोरिए रमेश व्यास को गिरफ्तार किया गया। मंगलवार सुबह विंदू को पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच की प्रोपर्टी सेल ने तलब किया। पांच घंटे की पूछताछ के दौरान विंदू ने बताया कि उसने तरनेजा और छाबड़ा बंधुओं की मदद की थी।
क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक विंदू ने बताया कि उसके कई बुकीज से संबंध हैं। इनमें से ज्यादातर जयपुर में सक्रिय हैं। इन बुकीज से उसकी मुंबई में भी मुलाकातें हुई थी। जिन बुकीज से विंदू संपर्क में था उनकी पहचान बद्री जयपुर,नोका जयपुर,काकू जयपुर,पवन जयपुर और संजय जयपुर के रूप में हुई है।
पुलिस को संदेह है कि संजय और पवन ष्जयपुरष्कोई और नहीं बल्कि छाबड़ा बंधु ही हैं। सूत्रों के मुताबिक बुकी रमेश व्यास भारत-पाकिस्तान और दुबई में काम करने वाले बुकीज का सबसे बड़ा बिचैलिया था। वह अपना सारा काला कारोबार कालबादेवी स्थित दफ्तर से चलाता था।
वहां पर रमेश व्यास एक इंटरनेशनल टेलीफोन एक्सचेंज भी चलाता था। पुलिस ने उसके यहां से 92 मोबाइल फोन और 18 सिम कार्ड जब्त किए हैं। वहीं से विंदू की बातचीत और डील होती थी। क्राइम ब्रांच इस बात की जांच कर रही है कि विंदू ने सट्टेबाजी में कितने पैसे लगाए हैं और स्पॉट फिक्सिंग में उसकी कितनी बड़ी भूमिका है।