तपती गर्मी और गर्म हवाओं का सीधा असर हमारे स्वास्थ पर पड़ता है। वैसे तो हीट स्ट्रोक किसी को भी हो सकता है परंतु बुजुर्गो, नवजात शिशु व बच्चों तथा फेफड़ा व किडनी के मरीजों को इसका ज्यादा डर रहता है। दिल्ली सहित पूरा उत्तर भारत भीषण गर्मी के चपेट में है।
शरीर की त्वचा को झुलसा देने वाली सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बरसते आग से लोग बीमार हो रहे हैं। अस्पतालों में भी गर्मी से होने वाली बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। जिसमें सन बर्न (त्वचा झुलसना) तो आम बात है। स्वास्थ्य के प्रति थोड़ी सी लापरवाही होने पर यह भीषण गर्मी हीट स्ट्रोक का शिकार भी बना सकती है। ऐसे में तेज धूप में काम करना खतरनाक साबित हो सकता है।
आप गर्मी को तो रोक नहीं सकते लेकिन हीट स्ट्रोक का शिकार बनने से बच जरूर सकते है। बचने के लिए कुछ उपाय हैं। 1.धूप में ज्यादा देर काम न करें। 2.सिर पर हुड वाली टोपी पहने।
3.चश्में का इस्तेमाल करें। 4. धूप में निकलने से पहले संसक्रिम का इस्तेमाल किया जा सकता। 5.खूब ठंडा पानी पीयें।
फिलहाल पूरे उत्तर भारत का तापमान 45 डिग्री के करीब पहुंच गया है। डॉक्टरों के अनुसार मौसम का तापमान बढ़ने पर शरीर से पसीना निकलता है ताकि शरीर का तापमान सामान्य बना रहे। परंतु, जब मौसम का तापमान अधिक बढ़ जाता है और तेज धूप में अधिक देर तक काम किया जाए तो पसीना बनना बंद होने का खतरा रहता है। इस स्थिति में शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। लोकनायक अस्पताल के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नरेश गुप्ता ने बताया कि शरीर जब बाहरी तापमान से तालमेल नहीं बैठा पाता है तो उसका तापमान बढ़ने लगता है।
शरीर का तापमान 40 डिग्री (104 डिग्री फारेनहाइट) होने की स्थिति में दिल व दिमाग पर असर पड़ता है और रक्तचाप घटने लगता है जो हीट स्ट्रोक का कारण बनता है। गंगाराम अस्पताल के स्कीन विभाग के चेयरमैन डॉ. एससी भरीजा ने कहा कि अभी जिस तरह की गर्मी पड़ रही है, उसमें हीट स्ट्रोक का खतरा सबसे ज्यादा है। हीट स्ट्रोक में कई बार मरीज की मौत भी हो जाती है।
उन्होंने बताया कि तेज धूप में अल्ट्रावायलेट किरणों ज्यादा निकलती है। जिससे त्वचा जलने तथा चेहरा व आंखों में सूजन होने की समस्या होती है। इसलिए सूर्य की गर्मी से खुद को बचाना जरूरी है।