06/06/2013 बुराईं के अन्त की शुरूआत - S.L. SAGAR
जानवर तो बिकते देखे थ,े गुलाम बिकते सुना है। खिलाडी बिक रहे हैं ईमान बिक रहा है , ये बात कुछ हज्म नहीं होती कि बोली लगा - लगाकर जो कम्पनियां इन खिलाडियों को खरीदती है वो सट्टेबाजी मैच फिक्सिंग व बुकियों से ताल्लुकात अपने पेशे का हिस्सा मान लेती है।
इस रोग को जड़ से मिटाना होगा और उसके लिये जनमानस को अपने अंदर नयी चेतना लानी होगी। फितरत से जुआरी, मंदा तेजी के खिलाडी और छोटे बडे व्यापारी जो कभी शौक , कभी अपने पेशे का हिस्सा मान लेते है वह यह नही जानते कि यह धन सिर्फ भ्रष्टाचार को ही जन्म नही दे रहा बल्कि देश विरोधी ताकतों को प्रबल बना रहा है इस शौक को पालने का मतलब है अपने हाथों से अपनी कब्र खोदना और देश के लिये नयी मुसीबतों को दावत देना है।कर्इ्र जगह पर आकर कानूनी फैसले और इंसानी लालच इंसान को बेपरवाह कर देते है लेकिन इसका मतलब ये नही कि यह सब एैसा ही चलता रहेगा । देश सुचारू रूप से चले इसके लिये सिर्फ सरकार पर दोष देना ज्यादा उचित न होेगा ,देश हित में हमसब को वो करना होगा जो हम अपनेपरिवार के लिये उसकी भलाई के लिये सोचते है करते है ।
खेल व खेल प्रमिओं की भावनाओं से खिलवाड़ बन्द होना चाहिए । धन संग्रह के लोभ में सरकार व सरकारो को अपनी प्रवत्ति बदलनी होगी ।कौेन नहीं जानता के उच्च पद पर आसीन होने के लिए पदाध्िाकारी भी किसी न किसी घूस के द्वार से प्रवेश होते है।इसका दोषी कौन है न तो मेरी इतनी सोच है और न ही हैसियत ,जुबान कुछ भी कहे तर्क व दलील कितनी ही दी जायें लेकिन अंतरात्मा की आवाज वह सब सुन पाते है जो स्वीकार करने के लिये कभी भी तैयार नही होते ।आज कांग्रेस पार्टी का खुलकर यह नारा कि कांग्रेस अगेंस्ट करेप्सन ,जिसका कि कांग्रेस नेत्री श्रीमती सोनिया गांधी ने दो सबूत भी दे दिये है और विरोधी दलों को जबाब भी , मेरी उनसे प्रार्थना है कि वह इस मामले में दखल दें और बेहतर से बेहतर हल ढूढें जिससे खेल खिलाडियों कि प्रतिभा और खेल प्रेमियों के आनंद में कमी न आयें ।देश वासियों से पुन अनुरोध है कि जहां भी कही बुक बुकी या सट्टा बाजारी चलती देखें कानून की मद्द करें ।कानून की मद्द करते हुए उनको पुलिस का मुखबिर न मानते हुए अपने आपमें देश प्रेमी होने का गर्व महसूस किया ।
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