उम्मीद है कि यह मीटिंग सितंबर से दिसंबर के बीच हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूएस डेप्युटी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट विलियम बर्न्स ने हाल ही दिल्ली यात्रा के दौरान भारतीय अधिकारियों को बताया था कि ओबामा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलना चाहते हैं। इसके बाद ही पीएम को औपचारिक न्यौता दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि दोनों नेता भारत और अमरीका के बीच के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करेंगे। इनमें सिविल न्यूक्लियर प्रॉजेक्ट्स,अफगानिस्तान,रक्षा,स्पेस और शिक्षा जैसे क्षेत्र शामिल होंगे। इस मीटिंग में अफगानिस्तान को लेकर भी बात होगी। अमरीका ने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका की कई मौकों पर तारीफ की है, लेकिन भारत को कई चिंताएं हैं। अगले साल तक अमरीका पूरी तरह से अफगानिस्तान से सेना हटाने जा रहा है लेकिन इससे पहले शांति और स्थायित्व लाने में वह तालिबान को भी शामिल कर रहा है।
अमरीका के इस कदम पर भारत भी नजरें गढ़ाए हुए है। सूत्रों ने मुताबिक मनमोहन अमरीका में प्रपोज किए गए उस विवादास्पद इमिग्रेशन बिल का भी विरोध करेंगे जिसके पास हो जाने से इंडियन आईटी कंपनियों के लिए मुश्किल हो सकती है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद पहले ही इस ड्राफ्ट बिल को दोनों देशों के रिश्तों के खराब होने की वजह बता चुके हैं। अपने दूसरे कार्यकाल में बराक ओबामा की मनमोहन सिंह के साथ यह पहली द्विपक्षीय मीटिंग होगी।
इससे पहले नवंबर 2009 में मनमोहन ओबामा के पहले स्टेट गेस्ट थे। भारत-अमरीका के रिश्तों में उस वक्त थोड़ी ठंडक आई थी जब साल 2011 में यूएनजीए में ओबामा ने मनमोहन से न तो मुलाकात की थी, न ही उन्हें आमंत्रित किया था। मगर अब सिंह को ओबामा का न्यौता उस वक्त आया है,जब यूपीए सरकार कई सारी दिक्कतों से जूझ रही है। ओबामा से सिंह की यह मीटिंग 5 देशों के साथ रिश्तों के लिए कूटनीतिक तौर पर काफी महत्व रखती है।