08/05/2013 अगर अमेरिका न चलता एक चाल तो पहले ही इस 'शक्ति' का मालिक होता भारत!
जयपुर/जोधपुर.लगभग तीन महीने पहले पोखरण में 1998 में हुए परमाणु परीक्षण से जुड़ा बड़ा खुलासा हुआ। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को 1995 के आखिरी महीनों में ही भारत के परमाणु परीक्षण की तैयारियों के संकेत मिले थे लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों में सब कुछ साफ नजर नहीं आया था। कुछ खुफिया दस्तावेजों के सार्वजनिक होने से यह जानकारी सामने आई है। नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव की ओर से जारी इन दस्तावेजों से भारत के परमाणु परीक्षण स्थल पर अमेरिका की नजर के संकेत मिलते हैं।
नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव के मुताबिक, आर्मी कंट्रोल एंड डिसअर्मामेंट एजेंसी के कर्मचारियों द्वारा जारी ई-मेलों में परमाणु परीक्षण केंद्र के सैटेलाइट तस्वीरों की चर्चा की गई है। इससे पता चलता है कि खुफिया तरीके से केबल बिछाए गए थे। संभावना है कि ये केबल परीक्षण यंत्रों से जुड़े हुए थे। ई-मेलों से यह भी पता चलता है कि सैटेलाइट तस्वीरों को समझने में विशेषज्ञों को कठिनाई हुई थी क्योंकि वे मानव निर्मित जटिल संरचनाएं थीं।नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव एंड न्यूक्लियर प्रोलिफरेशन इंटरनेशनल हिस्ट्री प्रोजेक्ट ने इसके साथ ही बिल क्लिंटन प्रशासन के उन प्रयासों पर भी प्रकाश डाला है जो उन्होंने परमाणु परीक्षण के खतरों से निबटने के लिए उठाया था। इसमें साफ कहा गया है कि भारत के पोखरण परमाणु परीक्षण केंद्र पर अमेरिकी की खुफिया इकाई की कड़ी नजर थी। इसमें यह भी कहा गया है कि अमेरिका ने 1996 में भारत के परमाणु परीक्षणों का आकलन किया था, जिसमें दावा किया गया था कि भारत का 1974 का परमाणु परीक्षण 'लगभग नाकाम' हो गया था। हालांकि उसने इस नतीजे पर पहुंचने के कारणों का ब्योरा नहीं दिया है। भारत ने पोखरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण 1974 में किया था।
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