परिजात इंडस्ट्रीज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड बिना नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) के चल रही थी। जबकि इंडस्ट्री चलाने से पूर्व फायर ब्रिगेड व अन्य विभागों से एनओसी लेना जरूरी था। आग लगने के बाद जिला प्रशासन फैक्टरी मालिक के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। सहायक फायर स्टेशन अफसर पंकज ने बताया कि किसी भी इंडस्ट्री को लगाने से पूर्व एनओसी लेनी होती है, लेकिन परिजात इंडस्ट्री के नाम से कोई एनओसी जारी नहीं की गई। इस सच के सामने आने के साथ ही फैक्टरी मालिक और जिला प्रशासन दोनों कटघरे में खड़े हो गए हैं।
सवाल यह है कि फैक्टरी इतने लंबे समय से चल रही थी तब इसकी एनसीओ को लेकर जांच क्यों नहीं की गई? हालांकि अभी और खुलासे होने बाकी हैं। गांव मंडोर में पांच फैक्टरियां हैं। इनमें 4 फैक्टरी केमिकल की और एक तेजाब की है। फैक्टरी शिफ्ट करने की मांग उठ चुकी है लेकिन आज तक शिफ्ट नहीं हुई, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है। मंगलवार को गांव के 12 से अधिक लोग बीमार हो चुके हैं जो सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।सब कुछ जल गया
इंडस्ट्री के सामने अपने जले घर के सामने सतपाल की मां प्रेमी खड़ी थी। वह बार-बार अपने कच्चे मकान के अंदर जाकर जले सामान को देखकर मुंह लटकाए खड़ी हो जाती है। वह सोचने लगती है कि आखिर अब उसका व उसके बेटे का क्या होगा, क्योंकि रात को ब्लास्ट के बाद जो ड्रम जलकर उनके घर गिरा था उससे सारा सामान जल गया है।
खेतों में फैला केमिकल
मंडोर में मुख्य सड़क से गांव में प्रवेश करते ही केमिकल के धुंए की गंध शुरू हो जाती है। रात को जब फ्रायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने आग पर काबू पाने के लिए पानी का प्रयोग किया तो उस पानी के साथ केमिकल मिलकर गांव की नालियों से बहता हुआ खेतों में पहुंच रहा है। फैक्टरी के अंदर जाना तो दूर, पास भी नहीं ठहरा जा रहा है। तीन किलोमीटर तक गैस की जहरीली गंध फैली है। उधर, फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने आग पर मशक्कत के बाद रात तीन बजे काबू पाया था, लेकिन गोदाम में पूरी तरह आग ठंडी नहीं हुई थी। मंगलवार सुबह जब धुंआ उठने लगा तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने सुबह 11 बजे करीब उस पर फिर पानी फेंका।
ये ग्रामीण पहुंचे अस्पताल
आग का असर मंगलवार को ज्यादा देखने को मिला। लोगों के हाथ व मुंह पर दाने हो गए हैं। आग से प्रभावित राजकुमार, महेश कुमार, रविंद्र, अजीत, सुनील कुमार, तरसेम, अजय, नरेंद्र, कुसुम, अशोक, श्यामलाल, रौनक राम ने सिविल अस्पताल व प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराया। राजकुमार व महेश को सांस की तकलीफ थी, वहीं अन्य को त्वचा में एलर्जी थी।