उपरोक्त टिप्पणी भाजपा दिल्ली प्रदेष अध्यक्ष श्री विजय गोयल ने निरप्रीत कौर और जगदीष कौर द्वारा अपराधियों को सजा दिलाने के लिए दिये जा रहे धरने के संदर्भ में की।
श्री गोयल ने कहा मैं न केवल इन दो महिलाओं द्वारा दिये जा रहे धरने के लिए नैतिक समर्थन देता हूँ जो न्याय में विलम्ब और बड़े कांग्रेसी नेताओं को बरी किये जाने के कारण सिख समुदाय के बीच उपजे आक्रोष का प्रतीक स्वरूप है बल्कि मैं पुनः दोहराना चाहूँगा कि दोशियों को सजा दिलाने के लिए भाजपा हर संभव प्रयास करेगी।
1984 में जो हुआ वह एक नरसंहार था और मानवता के विरूद्ध अपराध था। यह बहुत ही दुःखद है कि दंगों के बाद 29 वर्श बीत गये किन्तु इससे पीड़ित लोग अभी भी न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि सरकार ने उनके साथ न्याय नहीं किया। श्री गोयल ने कहा।
उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्त्ताओं ने 1984 में उन सिखों को बचाया जिन्हें कांग्रेस नेताओं द्वारा भड़कायी गई भीड़ ने अपना निषाना बनाया था। उस समय से ही हम आज तक सिखों के साथ खड़े हैं और भविश्य में भी रहेंगे।
दिल्ली भाजपा यह मांग करती है कि पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दोशमुक्त किये जाने के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी जानी चाहिए और न्यायालय के आदेष पर जिन कांग्रेसी नेताओं के विरूद्ध मामले पुनः चलाये जाने का आदेष दिया गया उन्हें षीघ्र निर्धारित समय सीमा में निपटाया जाना चाहिए।
सीबीआई और दिल्ली पुलिस ने अपना कर्तव्य नहीं निभाया और उनके संदेहास्पद भूमिका के बारे में विभिन्न जांच आयोगों, समितियों तथा न्यायालयों ने भी टिप्पणियां की हैं। यह भी स्पश्ट है कि ऐसा कांग्रेस सरकार के इषारे पर न्याय की प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए और उन कांग्रेसी नेताओं को लाभ देने के लिए किया गया जिन्हें इन दंगों में अभियुक्त बनाया गया था। श्री गोयल ने कहा।
इस विशय पर कांग्रेस की चुप्पी से यह पता चलता है कि इन मामलों में जांच की प्रक्रिया को निश्फल करने के लिए कांग्रेसी नेताओं ने जानबूझ कर प्रयास किये जिससे कि इस पार्टी के नेताओं को बरी किया जा सके या मामले को इतना कमजोर कर दिया जाये कि वह न्यायालय के समक्ष टिक न सके।
भाजपा प्रदेष अध्यक्ष के साथ प्रदेष उपाध्यक्ष सरदार आर पी सिंह, महिला मोर्चा अध्यक्षा श्रीमती षिखा राय, जिला अध्यक्ष श्री गिरीष सचदेवा, वरिश्ठ अकादी दल नेता सरदार अवतार सिंह हित, सरदार मंजीत सिंह जी.के. और सरदार मनजिन्दर सिंह सिरसा उपस्थिति थे।