पूर्व सैन्य शासक मुशर्रफ दुबई और लंदन में रहकर स्वत: निर्वासित जीवन जी रहे हैं। उनकी 25 या 27 जनवरी को पाकिस्तान लौटने की योजना है ताकि अपनी पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग [एपीएमएल] का नेतृत्व कर सकें। रावलपिंडी की जो अदालत पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या मामले की सुनवाई कर रही है उसी ने पिछले साल मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित किया था। जब 27 दिसंबर, 2007 को बेनजीर की हत्या हुई थी तब मुशर्रफ राष्ट्रपति थे। अदालत के कई आदेश के बाद भी मुशर्रफ ने इस मामले की जांच में सहयोग नहीं किया था।
मुशर्रफ की पत्नी ने शनिवार को मुशर्रफ को भगोड़ा ठहराने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की। इसमें कहा गया है कि जब भुट्टो की हत्या का मुकदमा शुरू हुआ था उसके पहले मुशर्रफ विदेश चले गए थे। उन्हें अदालत ने गलत ढंग से घोषित अपराधी करार दिया है। अदालत ने एफआइए को नोटिस जारी किया है और इस याचिका पर सुनवाई 21 जनवरी तक टाल दी है। अदालत ने बेनजीर हत्याकांड की सुनवाई भी 17 जनवरी तक टाल दी है।
इजरायल से निकटता पाक के हित में
-परवेज मुशर्रफ यहूदी देश इजरायल से नजदीकी रिश्ता बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि इजरायल से करीबी संबंध पाकिस्तान के हित में हैं। ये अमेरिका की मजबूत यहूदी लॉबी से निकटता लाने और भारत से टकराव की स्थिति में मददगार हो सकते हैं।
इजरायली समाचार पत्र 'हार्तेज' से एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए कि इजराइल पाकिस्तान के खिलाफ हमेशा भारत का समर्थक रहा है।
मुशर्रफ ने कहा कि पाकिस्तान की जनभावना को धता बताते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में इजरायली प्रधानमंत्री एरिएल शेरोन से हाथ मिलाया था और राष्ट्र प्रमुख के रूप में अमेरिकी यहूदी कांग्रेस से बात की थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान फलस्तीन के कारण ही इजरायल विरोधी है।