निर्वाचन आयुक्त ने संवाददाताओं से कहा कि पीपीपी तथा पीएमएल-एन के सदस्यों से मिलकर बनी संसदीय समिति ने आयोग के समक्ष चार नाम प्रस्तावित किए थे। उन्होंने कहा, "हमने विभिन्न नामों पर विस्तार से चर्चा की और बहुमत से इसका फैसला किया कि न्यायमूर्ति खोसो देश के अंतरिम प्रधानमंत्री होंगे।"
अंतरिम प्रधानमंत्री की देखरेख में ही संसदीय चुनाव होंगे, जिसके लिए मतदान 11 मई को होगा। शपथ-ग्रहण के बाद अंतरिम प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल की घोषणा करेंगे, ताकि अगले दो माह तक अंतरिम सरकार चलाई जा सके।
निर्वाचन आयोग ने अंतरिम प्रधानमंत्री को लेकर पीपीपी और पीएमएल-एन के किसी नतीजे पर न पहुंचने के बाद संवैधानिक प्रावधानों के तहत न्यायमूर्ति खोसो के नाम की घोषणा अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर की। पीपीपी तथा पीएमएल-एन ने दो-दो नाम प्रस्तावित किए थे, लेकिन दोनों राजनीतिक दलों ने राजनीतिक आधारों पर एक-दूसरे के नामांकन को खारिज कर दिया।
संसदीय चुनाव के अतिरिक्त चार प्रांतीय विधानसभाओं के लिए भी चुनाव होने हैं। इनमें से तीन प्रांतीय विधानसभाओं के लिए अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है, लेकिन पीपीपी और पीएमएल-एन के बीच मतभेदों के कारण पंजाब प्रांत के लिए अंतरिम सरकार का गठन नहीं किया जा सका है। न्यायमूर्ति खोसो बलूचिस्तान प्रांत में जफराबाद जिले के निवासी हैं।