पेट्रोलियम कंपनियों ने 18 जनवरी को डीजल के दाम 45 पैसे प्रति लीटर बढ़ाए थे। उसके बाद 16 फरवरी को भी डीजल कीमतों में इतनी ही वृद्धि की गई थी। 16 मार्च को पेट्रोल कीमतों में 2.40 रुपए लीटर की कटौती की गई थी और उसी दिन डीजल के दाम बढ़ने थे, लेकिन संसद में सरकार को परेशानी से बचाने के लिए यह फैसला टाल दिया गया था।
उल्लेखनीय है शुक्रवार को संसद एक माह के लिए स्थगित हो गई है। इसके बाद पेट्रोलियम कंपनियों ने डीजल के दाम बढ़ाए हैं। आईओसी ने कहा है कि इस वृद्धि के बावजूद पेट्रोलियम कंपनियों को डीजल की प्रति लीटर की बिक्री पर अंतरराष्ट्रीय मूल्य के हिसाब से 8.19 रुपए का नुकसान हो रहा है।
इसके अलावा पेट्रोलियम कंपनियों को मिट्टी के तेल पर प्रति लीटर 33.43 रुपए और 14.2 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर पर प्रति सिलेंडर 439 रुपए की कमाई का नुकसान हो रहा है।
गौरतलब है चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर ईंधन की बिक्री से 1,63,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। अकेले आईओसी का राजस्व नुकसान 86,400 करोड़ रुपए रहेगा।
मालूम हो, जनवरी के बाद से तीन किस्तों में डीजल के दाम 1.50 रुपए प्रति लीटर बढ़े हैं। मुंबई में कल से डीजल का दाम 54.83 रुपए लीटर हो जाएगा, जो अभी 54.26 रुपए लीटर है।