सूत्रों का कहना है कि जब लियाकत शाह को गोरखपुर में ट्रेन से गिरफ्तार किया गया था, तो उसके साथ पीओके से आ रहा उसका परिवार भी था। लियाकत मूल रूप से कश्मीर के कुपवाड़ा का रहने वाला है। उसका बड़ा भाई मंजूर शाह भी आतंकी था और शुरू में दोनों भाई अल-बरक नामक आतंकी संगठन के साथ जुड़े थे। 1993 में लियाकत का भाई एक मुठभेड़ में मारा गया, लेकिन वह सुरक्षाबलों को चकमा देकर भाग निकला। 1997 में वह पीओके चला गया था और वहां उसने मुजफ्फराबाद में दूसरी शादी कर ली। लियाकत अपने भाई की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था।
उसके परिवार वालों का कहना है कि वह एक सामान्य जिंदगी जीने की चाह में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ घर लौट रहा था। लियाकत की पहली बीवी अमीना बेगम का कहना है, 'हमने उनकी वापसी के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं, कुपवाड़ा में डेप्युटी कमिश्नर के ऑफिस में फॉर्म भी भर दिया था। पुलिस ने उनके खिलाफ झूठा मामला बनाया है।' परिवार का कहना है कि उसके आने के रूट के बारे में भी सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी थी।
सूत्रों का कहना है कि सीमा सुरक्षा बल को भी इस बारे में सूचित कर दिया गया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम ने गोरखपुर जाकर लियाकत को गिरफ्तार कर लिया। कश्मीर पुलिस ने दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के कमिश्नर एस. एन. श्रीवास्तव आरोपों के जवाब में कहते हैं, 'वह प्लेन से काठमांडू पहुंचा था और वहीं से हम उस पर नजर रखे हुए थे। सनौली चेक पोस्ट से गोरखपुर तक हमारे लोग उसके पीछे थे। 20 मार्च को गोरखपुर में हमारे सोर्स ने उसकी पहचान की, तब हमने उसे गिरफ्तार किया।
उन्होंने कहा कि लियाकत के पास से पाकिस्तानी पासपोर्ट मिला है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि यदि लियाकत सरेंडर करने और फिर से कश्मीर में बसने के लिए आ रहा था, तो उसने नेपाल का रूट क्यों पकड़ा? वह पीओके से आसानी से कश्मीर में बस से आ सकता था? कश्मीर पुलिस का कोई कर्मी उसे लेने के लिए भारत-नेपाल बॉर्डर पर क्यों नहीं पहुंचा?
दिल्ली पुलिस के सूत्र यह भी कह रहे हैं कि लियाकत के साथियों की तलाश और छानबीन का काम चल रहा है। जल्द ही और खुलासे हो सकते हैं। कुछ लोगों तक पहुंचने की कोशिश है। वे पकड़ लिए गए, तो एक-दो दिन में और जानकारी सामने आ सकती है।