31/01/2013 मुंबई यूनिवर्सिटी की किताब में नफरत का 'पाकिस्तानी पाठ'
ठाणे।। 'भारत ऐसा देश है, जहां पर ह्यूमन राइट्स की स्थिति ठीक नहीं है ...भारतीय सेना और पुलिस जाति-धर्म के आधार पर भेदभाव करती है।' यह सबकुछ पाकिस्तान के किसी मदरसे में नहीं, बल्कि मुंबई यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जा रहा है। यूनिवर्सिटी के अंडर ग्रैजुएट कोर्स के फाउंडेशन कोर्स-2 में पढ़ाई जा रही एक किताब में यह कॉन्टेंट मौजूद है। हैरान हो गए ना आप? लेकिन यह सच है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह कॉन्टेंट पाकिस्तान की डिफेंस वेबसाइट से कॉपी किया गया है।
हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने प्रफेसर माइकल वाज़ की किताब में आपत्तिजनक कॉन्टेंट होने के बारे में 18 जनवरी को रिपोर्ट पब्लिश की थी। इस किताब में सांप्रदायिक रूप से बेहद संवेदनशील कॉटेंट था। मगर वाज़ अब कह रहे हैं कि उन्हें नहीं मालूम था कि उनकी किताब में जो कॉन्टेंट है, वह पाकिस्तानी साइट्स से लिया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया, 'मुझे इस बारे में पता ही नहीं था। मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता, लेकिन मैं वादा करता हूं कि नई किताब से सारी विवादास्पद चीज़ें हटा दी जाएंगी।' इस किताब के एक चैप्टर 'ह्यूमन राइट्स वायलेशन ऐंड रिड्रेसल' को लेकर पूरा विवाद खड़ा हुआ है। कई राजनीतिक दल मन्नान प्रकाशन से पब्लिश हुई इस किताब का विरोध कर रहे हैं। बीजेपी नेताओं संजय केलकर और संतोष पछलाग ने 18 जनवरी को इस किताब की प्रतियां जला दी थीं। पछलाग कहते हैं कि टीओई की रिपोर्ट के एक हफ्ते बाद उन्हें लेखक की ओर से लेटर मिला था, जिसमें उन्होंने माफी मांगी थी। उन्होंने कहा, 'लेखक ने बताया था कि किताब में जो कॉन्टेंट है, वह उन्होंने नहीं लिखा। लेखक ने सोर्स के तौर पर कुछ बेवसाइट्स के लिंक भेजे थे। इनमें से एक लिंक पाकिस्तानी साइट का भी था। इस वेबसाइट में सबकुछ भारत की छवि खराब करने के लिए लिखा गया था। इसमें कहा गया था कि भारत में जाति और संप्रदाय के हिसाब से नफरत की जाती है। बड़ी दुख की बात है कि यह सब भारत में स्टूडेंट्स को टेक्स्ट बुक में पढ़ाया जा रहा था।'
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