23/01/2013 संयुक्त राष्ट्र में फिर भिड़े भारत-पाक
संयुक्त राष्ट्र। जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह की प्रासंगिकता को लेकर भारत-पाक की सुरक्षा परिषद में तीखी बहस हुई। भारत ने कहा समूह की जगह 1971 के शिमला समझौते ने ले ली है जबकि इस्लामाबाद ने जोर दिया कि बल की अभी भी भूमिका है। संरा के 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का पाक फिलहाल अध्यक्ष है और उसने शांतिरक्षण पर चर्चा का आयोजन किया जिसमें यह बहस हुई। पाकिस्तान का तर्क
भारत -पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह का गठन 1949 में किया गया था। इसका मकसद नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम की निगरानी करना था। पाकिस्तान के विदेश सचिव अब्ब्ाास जिलानी ने कहा, हम शांतिरक्षा अभियानों में हिस्सा लेते रहे हैं। जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर शांति की निगरानी में इस अभियान ने अहम भूमिका अदा की है। और भारत का जवाब संरा में भारत के राजदूत हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि कठिन आर्थिक समय में पर्यवेक्षक समूह के लिए आवंटित संसाधनों को कहीं और खर्च करना बेहतर होगा। यूएनएमओजीआईपी की भूमिका की जगह 1972 के शिमला समझौते ने ले ली है जिसपर भारत और पाकिस्तान सरकार के प्रमुखों ने दस्तखत किए और दोनों देशों की संसदों ने इसे पारित किया।
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