उन्होंने कहा हम पाते हैं कि राणा ऐसी कार्रवाई में शामिल था, जिससे कई लोगों की जान जा सकती थी और चोट लग सकती थी। अच्छी बात यह है कि इसे अंजाम दिए जाने से पहले ही रोक दिया गया।
न्यायाधीश ने कहा मुझे लगता है कि आतंकवादी वारदात को अंजाम देने के लिए प्रतिबद्ध लोगों को इसकी परवाह नहीं होती कि उन्हें क्या होने वाला है। जब तक राणा हिरासत में था तब तक वह निजी तौर पर ऐसी गतिविधि से दूर रहा।
उन्होंने कहा राणा को लंबे वक्त की सजा सुनाने से यह सुनिश्चित होगा कि वह भविष्य में किसी आतंकवादी गतिविधि में शामल नहीं हो सकेगा। डेनमार्क जाने में हेडली को मिली राणा की मदद का उल्लेख करते हुए न्यायाधीश लेनिनवेबर ने कहा हेडली को कोपेनहेगन को इस आधार पर भेजा गया कि उसे अखबार में विज्ञापन देना है, जबकि इसे कंप्यूटर के जरिए यहीं से किया जा सकता है। इससे पता चलता है कि अपराध गंभीर है।
अमेरिका के सहायक एटॉर्नी डेनियल कोलिंस ने राणा को �कठोर सजा' देने की मांग करते हुए कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा दिए जाने को भी सजा सुनाते हुए ध्यान में रखा जाना चाहिए।
राणा के वकील पीटर ब्लेगन ने दलील दी कि सरकारी एटॉर्नी की दलील लागू नहीं होती है और तथ्यात्मक रूप से गलत है। न्यायाधीश ने कहा अदालत पाती है कि इस आतंकवादी वारदात के तहत आतंकवाद को बढ़ावा देने की बात लागू नहीं होती।
राणा को स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे अदालत में लाया गया। वह नारंगी रंग का सूट पहने हुए था। भूरे बालों वाला राणा शांत था, लेकिन कमजोर दिखाई दे रहा था।
ब्लेगन ने कहा कि राणा की पत्नी नहीं पहुंच सकी क्योंकि आव्रजन प्रशासन ने उसे अमेरिका में दाखिल होने से मना कर दिया था। राणा की पत्नी कनाडा में रहती है।
अदालत में राणा का एक बेटा भी उपस्थित नहीं था क्योंकि वह कॉलेज में था। हालांकि उसके परिवार के कई दूसरे सदस्य मौजूद थे। भारतीय और अमेरिकी मीडिया के पत्रकार भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
राणा को एक संघीय ग्रांड ज्यूरी ने जून 2011 में दोषी ठहराया था। ज्यूरी ने उसे लश्कर ए तैयबा को साजो सामान मुहैया कराने और डेनमार्क के अखबार जाईलैंड्स पोस्टेन के कार्यालय में विस्फोट की नाकाम साजिश रचने का दोषी पाया था।
मुंबई हमले में शामिल होने के लिए राणा को 2009 में गिरफ्तार किया गया था और उसे इन आरोपों से बरी कर दिया गया था। बहरहाल भारतीय जांचकर्ताओं ने उस पर मुंबई हमले में शामिल होने का आरोप लगाया है। इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे। भारतीय जांचकर्ता दूसरी बार उससे पूछताछ करने की मांग कर रहे हैं ।
लश्कर ए तैयबा के लिए निशाने की टोह लेने वाले हेडली ने एफबीआई से समझौता कर लिया, जिससे वह संभावित मौत की सजा से बच गया। हैडली की सजा का ऐलान इसी महीने की 24 तारीख को �होगा।
अमेरिका के कार्यवाहक अटॉर्नी गैरी एस. शेपिरो ने शिकागो की अदालत से आग्रह किया था राणा को 30 वर्ष कैद की सजा दी जाए। हालांकि राणा के वकील पैट्रिक डब्ल्यू ब्लेगन ने उसके खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अदालत से हल्की सजा देने की अपील की।
जून 2012 में राणा को दिल का दौरा पड़ा था और उसके बाद अस्पताल में भर्ती कराए जाने का जिक्र करते हुए ब्लेगन ने कहा कि राणा का स्वास्थ्य काफी खराब है। उन्होंने न्यायाधीश से अपील की कि सजा सुनाते वक्त इसका ख्याल रखा जाए।
ब्लेगन ने हाल में अदालत से कहा ऐसा संभव है कि उसका स्वास्थ्य और खराब होने लगे। किडनी में बीमारी के कारण उसे डायलिसिस की आवश्यकता पड़ सकती है।
पाकिस्तानी मूल के राणा को सजा सुनाए जाने से जुड़ा घटनाक्रम
26 नवंबर, 2008 : लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने मुंबई के विभिन्न स्थानों पर हमला किया।
18 अक्टूबर, 2009 : राणा और डेविड कोलमैन हेडली को डेनमार्क के अखबार जाइलैंड्स पोस्टेन के कार्यालय पर हमले की साजिश के मामले में गिरफ्तार किया गया। अखबार ने पैगम्बर का विवादास्पद कार्टून प्रकाशित किया था। हैडली ने लश्कर ए तैयबा के लिए मुंबई हमलों के लिए ठिकानों की टोह ली थी।
16 मई, 2011 : शिकागो की अदालत में राणा की सुनवाई शुरू हुई।
9 जून, 2011 : ज्यूरी ने राणा को लश्कर-ए-तैयबा को साजो सामान मुहैया कराने और डेनिश अखबार के कार्यालय में विस्फोट की नाकाम साजिश रचने के मामले में दोषी करार दिया। राणा को मुंबई हमले के मामले से बरी कर दिया गया था।
15 जनवरी, 2013 : अमेरिकी अभियोजकों ने राणा के लिए 30 साल जेल की मांग की।
17 जनवरी, 2013 : राणा को 14 साल जेल की सजा सुनाई गई।