16/01/2013 'लोगों में बढ़ा है पुलिस के प्रति विश्वास'
नई दिल्ली।। दिल्ली गैंग रेप की घटना के आज एक महीने पूरे हो गए हैं। ऐसी शर्मनाक घटना दोबारा न हो और राजधानी की महिलाएं पहले से ज्यादा सेफ और सिक्योर फील करें, दिल्ली पुलिस ने इसके लिए क्या उपाय किए हैं, इस मुद्दे पर पंकज त्यागी ने बात की दिल्ली पुलिस के जॉइंट कमिश्नर विवेक गोगिया सेः - दिल्ली को महिलाओं के लिए सुरक्षित शहर बनाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
वर्क-प्लेस से घर वापस आ रही महिलाओं की सुरक्षा के लिए जगहों की पहचान कर उन रास्तों पर पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। उनकी सुरक्षा के लिए पीसीआर वैन के पुलिसकर्मियों को ऑफिसों के आसपास तैनात किया गया है। रेस्तरां और मॉल के आसपास देर रात तक पुलिस तैनात रहेगी। बीपीओ से रात में घर जाने वाली युवतियों की सिक्युरिटी सुनिश्चित करने के मकसद से सीआरपीसी की धारा-144 के तहत फिर से ऑर्डर जारी किया गया है कि कैब में उन्हें न तो सबसे पहले पिक-अप किया जाए और न ही सबसे बाद में ड्रॉप किया जाए। हमने डार्क स्ट्रेचेज (अंधेरे इलाकों) की पहचान कर सिविक एजेंसी से वहां लाइट का इंतजाम करने के लिए कहा है। - महिलाएं पुलिस के रवैये की वजह से थाने जाने में असहज महसूस करती हैं। इस स्थिति में बदलाव के लिए क्या किया जा रहा है? 100 नंबर की लाइनें बढ़ाई जा रही हैं। हर थाने में महिला हेल्प डेस्क है। इस पर 24 घंटे लेडी पुलिस अफसर तैनात रहती है, जिससे महिलाएं कंप्लेंट के सिलसिले में संपर्क कर सकती है। पुलिसकर्मियों को संवेदनशीलता से बर्ताव करने के लिए कहा जा रहा है। एंटी स्टॉकिंग सेल और एंटी ऑब्सीन सेल के नंबरों पर कॉल कर कोई भी महिला अपनी पहचान सीक्रेट रखकर कंप्लेंट दर्ज करा सकती है। उन्हें पुलिस के किसी ऑफिस में आने की भी जरूरत नहीं है। उनकी कंप्लेंट पर कार्रवाई कर उन्हें खबर दी जाएगी। - इस वारदात पर हुए भारी विरोध और पुलिस के आश्वासनों के बावजूद रेप और छेड़छाड़ की वारदातें लगातार हो रही हैं। पुलिस अपराधियों पर लगाम कसने में नाकाम क्यों हो रही है? महिलाओं की कंप्लेंट पर पुलिस की कार्रवाई होने की वजह से उनमें पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है। इसीलिए वह अपराधों को रिपोर्ट कराने सामने आ रही हैं। इसलिए सवाल केसों की संख्या का नहीं है। हमें शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई होगी।
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