भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने फिर से खुद को और सीजीएफ को अलग करते हुए सरकार से पूरी जांच की मांग की।
पिछले कई मौकों पर तैयारियों पर लगातार अंगुली उठाते रहे फेनेल इस बार पूरी तरह बदले-बदले थे। कुछ इस हद तक कि तैयारियों में हो रही देरी को भी वह क्लीन चिट देते रहे। गौरतलब है कि सीएजी की रिपोर्ट में आयोजन समिति के अध्यक्ष के साथ साथ फेनेल और सीजीएफ पर भी अंगुली उठी थी। खासतौर पर स्मैम को करार दिए जाने के सवाल पर फेनेल के सामने भी सवाल खड़े हुए थे, हालांकि उन्होंने सफाई देकर इसका पूरा ठीकरा कलमाड़ी की समिति पर फोड़ दिया था। अब उन्हें तैयारियों को लेकर भी कोई शंका नहीं है।
बृहस्पतिवार को मीडिया से रूबरू हुए फेनेल ने कहा, 'मैं आश्वस्त होकर दिल्ली से विदा हो रहा हूं। स्टेडियम लगभग पूरी तरह तैयार हैं। थोड़ी चिंता कैटरिंग, सफाई और परिवहन को लेकर है, लेकिन मुझे भरोसा दिलाया गया है कि सबकुछ दुरुस्त हो जाएगा।'
फेनेल का यह दौरा कलमाड़ी और सरकार के लिए बहुत राहत भरा होगा। दरअसल फेनेल ने भी कुछ-कुछ खेल मंत्री एम. एस. गिल की तर्ज पर ही देरी को नजरअंदाज कर दिया। एक सवाल के जवाब में फेनेल ने कहा कि 1994 में प्रिटोरिया में विदेशी एथलीट के आने तक भी कुछ काम होते रहे थे। टीएसआर में हो रही देरी को भी वह बहुत गंभीर नहीं मानते हैं। सतर्कता और निगरानी का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा कई बार हो चुका है। कुल मिलाकर अपने इस दौरे के बाद उन्होंने कलमाड़ी और सरकार को राहत तो दे दी लेकिन कलमाड़ी को आगाह भी कर गए कि कभी-कभी अंतिम दौड़ सबसे ज्यादा कठिन होती है।
कलमाड़ी ने साफ किया कि सरकार ने समिति पर अंकुश लगाने के लिए अतिरिक्त 10 अधिकारियों का नियुक्ति नहीं की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान उन्होंने खुद ही अधिकारी नियुक्त करने का आग्रह किया था ताकि कामकाज में तेजी लाई जा सके। बहरहाल, ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री ने सचिवों के पैनल को निगरानी का सर्वोच्च अधिकार देकर पहले ही संकेत दे दिया था कि अब सरकार कमान अपने हाथों में रखना चाहती है।