19/08/2010 भले सड़ जाए, पर मुफ्त में नहीं बांट सकते अनाज: पवार
नई दिल्ली ।। सरकार ने आज कहा कि गरीबों को मुफ्त में अनाज बांटने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करन
ा संभव नहीं है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्र को भंडारण क्षमता के अभाव में अनाज को सड़ने देने की बजाए गरीबों में मुफ्त बांटना चाहिए।
खाद्य और कृषि मंत्री शरद पवार ने यहां संवाददाताओं से कहा, न्यायालय के आदेश का पालन करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने गरीबों को अनाज मुफ्त में या फिर सस्ती दर पर देने का सुझाव दिया है। सरकार मुफ्त में अनाज का वितरण नहीं कर सकती है, लेकिन सस्ती दर पर चावल एवं गेहूं उपलब्ध करा सकती है। पवार ने कहा, 'मुफ्त में नहीं बांट सकते।
गरीबों के लिए अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) चलाई जा रही है। हम गेहूं 16 रुपए खरीद रहे हैं और दो रुपए प्रति किलो पर बेच रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने जो कहा है, हम पहले से ही ऐसा कर रहे हैं।'
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय ने सरकार से भंडारण समस्या से निपटने के लिए गरीबों को मुफ्त अनाज बांटे जाने को कहा था। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा था, अनाज सड़ रहे हैं, अल्पकालिक उपायों के तहत इसे आप मुफ्त में बांटिए। अनाजों की खरीद और वितरण की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास इस महीने की शुरुआत में 5.78 करोड़ टन का भंडार था जबकि बफर मानदंडों के तहत 3.19 करोड़ टन का भंडार होना चाहिए।
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