19/08/2010 मनमोहन ने पाक को और मदद की पेशकश की
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज अपने पाकिस्तानी समकक्ष युसूफ रजा गिलानी से बात की और बाढ़ से मची तबाही से निबटने में अतिरिक्त सहायता की पेशकश की जबकि पाकिस्तान ने 50 लाख डाॅलर की पिछले हफ्ते की भारत की पेशकश पर अभी कोई जवाब नहीं दिया है। मनमोहन ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के ऐसे मौकों पर समूचे दक्षिण एशिया को साथ खड़ा होना चाहिए और त्रासदी से प्रभावित पाकिस्तानी अवाम को हर संभव मदद देना चाहिए।
पाकिस्तान का तकरीबन पांचवां हिस्सा विनाशकारी बाढ़ की चपेट में है। यह पिछले 80 साल में देश में आई सबसे भयंकर बाढ़ है। बाढ़ के चलते अभी तक 1700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि साढ़े छह लाख से ज्यादा लोगों के ऊपर छत नहीं है। हालात का अंदाजा इससे लग सकता है कि 60 लाख लोगों को आपात मदद की बुरी तरह जरूरत है। प्रधानमंत्री ने गिलानी को दुःख जताने और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों को तबाह करने वाली बाढ़ से होने वाली मौतों पर संवेदना जताने के लिए फोन किया।
मनमोहन ने कहा, भारत सरकार पहले ही सहायता की पेशकश कर चुकी है और वह राहत प्रयास में ज्यादा मदद करने के लिए तैयार है। पिछले हफ्ते, विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी को फोन किया था और बाढ़ राहत काम में मदद के लिए 50 लाख डाॅलर की पेशकश की। जहां, पाकिस्तान बाढ़ राहत के लिए भारत से 50 लाख डाॅलर लेने में टालमटोल कर रहा है, अमेरिका ने कहा है कि आपदा से मुकाबले में सियासत के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए और वह अपेक्षा करता है कि पाकिस्तान यह सहायता स्वीकार करेगा। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउले ने वाशिंगटन में कहा था, किसी तबाही से निबटने के संदर्भ में सियासत की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
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