14/11/2012 अंतरिक्ष में भी चलेगा इंटरनेट!
लंदन. क्या भविष्य में धरती के बाहर भी इंटरनेट चल पाएगा? वैज्ञानिकों की मानें तो इसका जवाब हां है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी एक परीक्षण में जुटी हैं जिससे भविष्य में धरती और किसी अन्य ग्रह पर मौजूद रोबोट के बीच इंटरनेट की तरह संवाद स्थापित हो सके। नासा के 33वें अभियान की कमांडर सुनीता विलियम्स ने हाल ही में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर प्रायोगिक तौर पर डिर्सप्शन टॉलरेंट नेटवर्क (डीटीएन) का प्रयोग कर जर्मनी स्थित यूरोपियन स्पेस ऑपरेशन सेंटर में एक रोबोट को चलाया।
नासा के अधिकारियों की मानें तो सुनीता ने अंतरिक्ष से यूरोपियन स्पेस एजेंसी में जिस प्रयोग को अंजाम दिया है, उसके काफी दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। इसके चलते स्पेस में मौजूद अंतरिक्षयात्री धरती की सतह पर मौजूद किसी रोबोट को चला सकता है। विकसित होगी संवाद की नई तकनीक.. नासा के स्पेस कम्युनिकेशन एंड नेविगेशन (अंतरिक्ष में संवाद व नौचालन) के डिप्टी एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर बद्री यूनुस के मुताबिक सुनीता के प्रयोग से साफ है कि अंतरिक्ष में चक्कर लगाते किसी स्पेसक्राफ्ट से धरती पर किसी रोबोट से संवाद स्थापित किया जा सकता है। इस तरह संवाद स्थापित करने की यह नई विधि होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो अंतरिक्षयात्री फोटो व डाटा रोबोट को भेज सकेगा जिसे प्रयोगशाला में देखा जा सकेगा। डीटीएन के प्रयोग से भविष्य में अंतरिक्षयान में मौजूद इंसान मंगल की सतह पर मौजूद रोबोट को चला सकेगा या उपग्रहों को ही प्रसारण स्टेशनों की तरह प्रयोग किया जा सकेगा। क्या है डीटीएन नासा के अधिकारियों के मुताबिक डीटीएन की मदद से लंबी दूरी के बीच समय बरबाद किए बिना संवाद स्थापित किया जा सकता है। इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) की तरह आप इसे बंडल प्रोटोकॉल (बीपी) कह सकते हैं। इंटरनेट प्रोटोकॉल से ही धरती पर इंटरनेट व्यवस्था का संचालन होता है। हालांकि आईपी और बीपी में खासा अंतर भी है। आईपी में एक इलेक्ट्रॉनिक रास्ते से सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है जबकि बीपी में किसी तरह से तारों से कोई कनेक्शन ही नहीं होता। इसमें सुदूर अंतरिक्ष से भी संवाद हो सकता है। नई तकनीक से आगे क्या होगा फायदा.. मंगल या अन्य किसी ग्रह पर भेजे जाने वाले रोबोट अभी तक नासा या दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियों की प्रयोगशालाओं से ही संचालित होते हैं। डीटीएन की मदद से आईएसएस से भी उन रोबोट्स को नियंत्रित किया जा सकेगा।
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