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अगले दो दशकों में भारत की विकास यात्रा के लिए क्या है जरुरी!

Towards Viksit Bharat @ 2047:

आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता 

विकास के लिए रणनीतिक साझेदारी 

आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती और राष्ट्रीय रक्षा 

नीति आयोग ने नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में विकसित भारत की ओर @ 2047: अर्थव्यवस्थाराष्ट्रीय सुरक्षावैश्विक भागीदारी और कानून को मजबूत करना  शीर्षक से एक सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन में नीति आयोग के उपाध्यक्ष, नीति आयोग के सदस्य, नीति आयोग के सीईओ उपस्थित रहे। केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार और रक्षा मंत्रालय के सचिव ने मुख्य भाषण दिया। अगले दो दशकों में भारत की विकास यात्रा के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण विषयों पर कार्यक्रम में गहन चर्चा की गई।

इसमें मुख्य आकर्षण 2047 तक आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता पर पैनल चर्चा थी, जहां नीति, शिक्षा और उद्योग जगत के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में देश की प्रगति की समीक्षा की। चर्चाओं में नियामक सुधार, नवाचार, बुनियादी ढांचे के विस्तार और वैश्विक व्यापार में भारत की रणनीतिक भूमिका के महत्व पर बल दिया गया। वक्ताओं ने अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र के निवेश, वित्तीय समेकन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण पर बल दिया। दीर्घकालिक आर्थिक मजबूती के लिए संप्रभु क्रेडिट रेटिंग, ऊर्जा सुरक्षा और महत्वपूर्ण कच्चे माल तक पहुंच को आवश्यक बताया गया। जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठाने के लिए शिक्षा, कौशल विकास और बुनियादी ढांचे में निवेश को महत्वपूर्ण माना गया। सभी विशेषज्ञ इस पर सहमत थे कि साहसिक सुधार, टिकाऊ ऊर्जा रणनीतियां और वैश्विक व्यापार में नेतृत्व की भूमिका, 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की कुंजी होगी।

विकास के लिए रणनीतिक साझेदारी शीर्षक का एक अन्य महत्वपूर्ण सत्र, वैश्विक दक्षिण और उत्तर दोनों के साथ गठबंधन को सुरक्षित करने में भारत की कूटनीतिक रणनीतियों पर केंद्रित था। भारत की आर्थिक मजबूती और भू-राजनीतिक व्यापार व्यवधानों को समाधान करने की देश की क्षमता पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने अक्षय ऊर्जा में भारत के नेतृत्व का उल्लेख किया और महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर बल दिया। भारत की वैश्विक व्यापार स्थिति को सशक्त बनाने के लिए संभावित रास्ते के रूप में व्यापार उदारीकरण, सीमा-शुल्क में कमी और तकनीकी सहयोग की भूमिका पर भी चर्चा की गई। सत्र में बहुपक्षीय और द्विपक्षीय साझेदारी को बढ़ावा देने में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की भूमिका पर भी बल दिया गया। निवेश आकर्षित करने और व्यापार सुगमता के लिए कानूनी सुधारों को महत्वपूर्ण माना गया।

आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती और राष्ट्रीय रक्षा पर आधारित सत्र में, वक्ताओं ने आपूर्ति श्रृंखला में वाधाओं को कम करने के व्यावहारिक समाधानों और राष्ट्रीय सुरक्षा में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका पर चर्चा की। चर्चा में मजबूत रसद आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता और सैन्य और नागरिक दोनों कार्यों पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। विशेषज्ञों ने कुशल खरीद, भंडारण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन सुनिश्चित करने में कानूनी ढांचे की भूमिका पर विचार-विमर्श किया। रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए खरीद प्रक्रियाओं को बढ़ाने, सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने और संगठनात्मक संरचनाओं में सुधार के लिए प्रस्ताव रखे गए। आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा और परिचालन दक्षता सुनिश्चित करने में साइबर सुरक्षा एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभरी।

इस सम्मेलन में भारत की आर्थिक प्रगति, रणनीतिक साझेदारी और राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियों के बारे में बहुमूल्य चर्चा की गई। इन चर्चाओं के माध्यम से सतत और समावेशी विकास के लिए देश की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई और इससे प्रधानमंत्री के 2047 तक “विकसित भारत” के सपने को साकार करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

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