(चन्दन कुमार, नई दिल्ली)
जय पराजय ये तो चुनावी मैदान मे लगा रहता है, पर इसबार दिल्ली के चुनाव मे जिस प्रकार से आम आदमी पार्टी के कुछ बड़े चेहरे चुनाव से दूरी बनाए हुए है ! उससे यही प्रतीत होता है कि चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी शस्त्र रखकर अपना समर्पण कर चुकी है ! ना तो इसबार किसी जनसभा के दौरान आम आदमी पार्टी से सांसद राघव चड्डा दिखाई दें रहे है ना ही उनके दो और सांसद सुशील गुप्ता और एन डी गुप्ता ! इसके आलावे आप के मंत्री गोपाल राय और सोमनाथ भारती भी दिल्ली चुनाव मे केवल और केवल अपने अपने विधानसभा मे लगे हुए है ! जबकि दूसरी तरफ कॉंग्रेस और भाजपा के प्रदेश नेतृत्व से लेकर केन्द्रीय नेतृत्व के सभी दिग्गज अपने-अपने हिसाब से मोर्चा संभाल रहे है ! शायद यही कारण है की जैसे-जैसे चुनाव के तारीक नजदीक आ रही है वैसे-वैसे आम आदमी पार्टी का जमीन से पकड़ कमजोर होती दिखाई दे रही है !
यदि हम आकलन करें तो आम आदमी पार्टी मे केवल पाँच चेहरे ही इस बार के चुनाव मे दिखाई पड़ रहे है ! आप प्रमुख अरविन्द केजरीवाल, मनीष सीसोदिया, मुख्यमंत्री आतिशि सांसद संजय सिंह और सौरभ भारद्वाज ! मात्र यही वो चेहरे है जो इसबार के चुनावी समर मे आप के तरफ से दिखाई दे रहे है ! जबकि इससे पहले आम आदमी पार्टी मे चुनाव के समय नेताओ और कार्यकर्ताओ का तांता लगा रहता था ! जैसे जैसे पार्टी का कार्यकाल बढ़ता गया वैसे वैसे पार्टी के संस्थापक सदस्यों और जमीनी कार्यकर्ताओ का पलायन बढ़ता गया ! आज हालात ये बन गए है कि- आंदोलन की कोख से निकली आम आदमी पार्टी मुट्ठी भर नेताओ के बीच सिमट गई है !
आप सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल के वक्तव्य और प्रचार प्रसार मे भी पराजय का भय दिखाई पड़ रहा है, वो अब किसी से छिपा नहीं है ! ये वही अरविन्द केजरीवाल है जो पिछले सभी चुनावों मे अपने काम पर वोट मांगते थे, पर इस बार वो अपने लगभग सभी सभाओ में ये कहते दिखाई दे रहे है कि- यदि भाजपा सत्ता मे आयेगी तो दिल्ली वालों के ये सुविधाएं बंद कर देगी ! वो सुविधाएं बंद कर देगी ! इससे और स्पष्ट हो जाता है कि कहीं ना कहीं केजरीवाल को यह आभास हो चुका की आम आदमी पार्टी का इस बार सरकार मे आना मुश्किल है ! ये भी एक कारण हो सकता है जो आम आदमी पार्टी के बाकी दिग्गज प्रचारक अपने आप को चुनावी समर मे झोंकने से बच रहे है !
आप ही आप