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भारतीय संविधान की 75 वीं वर्षगांठ पर ‘हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान’ अभियान 

भारतीय संविधान की 75 वीं वर्षगांठ तथा भारत के गणतंत्र के रूप में स्थापित होने के उपलक्ष्य में ‘हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान’ अभियान चलाया जा रहा है । इस अवसर पर परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, अरैल घाट, प्रयागराज में कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम एक साल तक चलने वाले राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत आयोजित क्षेत्रीय कार्यक्रमों की श्रृंखला में चौथा था। यह कार्यक्रम न्याय तक समग्र पहुँच के लिए अभिनव समाधान तैयार करने (दिशा) (Designing Innovative Solutions for Holistic Access to Justice- DISHA) योजना के तत्वावधान में आयोजित किया गया था, जिसे न्याय विभाग, विधि एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।

इस अवसर पर केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य भाषण दिया। मेघवाल ने संवैधानिक जागरूकता तथा विधिक सशक्तिकरण के महत्व पर जोर दिया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष एवं आध्यात्मिक प्रमुख पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित थे। परमार्थ निकेतन की अंतर्राष्ट्रीय निदेशक पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी भी कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।

न्याय विभाग के सचिव ने हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान अभियान के विभिन्न तत्वों के बारे में जानकारी दी और इस कार्यक्रम में तीन उत्पादों का विमोचन किया – हमारा संविधान हमारा सम्मान अभियान पर उपलब्धि पुस्तिका जिसमें वर्ष भर की गतिविधियों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है, न्याय विभाग का वर्ष 2025 का कैलेंडर जिसमें न्याय विभाग की महत्वपूर्ण घटनाओं की झलकियाँ हैं। तीसरा विमोचन हमारा संविधान हमारा सम्मान अभियान पर फिल्म है, जिसमें अभियान के तहत की गई गतिविधियों को दिखाया गया है।

आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए परम पूज्य स्वामी जी ने भारत के संविधान को देश का मौलिक कानून बताया और कहा कि “जहाँ सब समान, सबका सम्मान, यहीं है भारत का संविधान।” उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह कार्यक्रम महाकुंभ में संगम का एक प्रतीकात्मक महत्व है जहाँ संगम से दुनिया भर में एकता का संदेश भेजा जाता है। उनका मानना ​​​​था कि एक राष्ट्र की ताकत उसके लोगों और चरित्र में निहित होती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमें इस बात पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए कि मेरे लिए क्या है बल्कि इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि मेरे माध्यम से क्या है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हम यहाँ भारत के संविधान के 75 गौरवशाली वर्षों का सम्मान करने के लिए एकत्र हुए हैं, जिसने राष्ट्र के सम्मान की रक्षा की है। उन्होंने सभी सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्र के बड़े लक्ष्य पर काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जो कि वेतन से वतन पर ध्यान केंद्रित करना है।

साध्वी जी ने भारत की समृद्ध विरासत के महत्व पर प्रकाश डाला, इसकी संस्कृति और धर्म पर जोर दिया और कहा कि कोई भी अन्य देश ऐसे गहन नैतिकता और मूल्यों का प्रतीक नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “भारत की जो संस्कृति-धर्म है, वह विश्व में कहीं नहीं है”। हमें सनातन और संविधान में निहित मूल्यों पर भरोसा करके खुद पर विश्वास करना चाहिए क्योंकि यहीं परम सौंदर्य निहित है। देश ने बहुत पहले स्वराज प्राप्त कर लिया था, अब समय आ गया है कि हम अपने मन को जाति, रंग, भाषा और धर्म की बेड़ियों से मुक्त करें।

मंत्री ने कहा कि भारत का संविधान देश के नागरिकों की रक्षा करता है। उन्होंने राष्ट्र गान के महत्व के बारे में भी बताया जिसे 24 जनवरी, 1950 को अपनाया गया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्र गान भले ही अलग-अलग तिथियों पर अपनाए गए हों, लेकिन किसी भी औपचारिक अवसर पर ये एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि आज का ‘हमारा संविधान, हमारा सम्मान’, परसों मतदाता दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के तीन आयोजन संगम पर गंगा, जमुना और सरस्वती के प्रतीकात्मक संगम का प्रतिनिधित्व करते हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छात्राओं को सशक्त बनाया जाना चाहिए और उन्हें ‘न्याय सखी’ बनाकर संविधान के निहित संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने महाकुंभ में इस आयोजन के महत्व की तुलना त्रिवेणी-संगम के प्रतीकात्मक संदर्भ से की, जो सरकार के तीन अंगों यानी विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अभिसरण को दर्शाता है।

वर्तमान केंद्रीय कानून मंत्री के कार्यकाल में हमारा संविधान हमारा सम्मान अभियान के तहत एक राष्ट्रीय कार्यक्रम और तीन क्षेत्रीय कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इसके अलावा, इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए, अभियान को अब “हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान” कहा जाएगा। कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को एक पट्टिका के रूप में भारत के संविधान की प्रस्तावना की एक प्रति भेंट की गई। न्याय विभाग के संयुक्त सचिव नीरज कुमार गायगी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

इस कार्यक्रम में 2000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया था, जिनमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सदस्य, विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों के छात्र और शिक्षक, साथ ही केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि, महाकुंभ के भक्त और परमार्थ निकेतन के स्वयंसेवक शामिल थे। सीएससी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता और आम जनता इस कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल हुए, जिसे फेसबुक, यूट्यूब, दूरदर्शन आदि पर लाइव दिखाया गया। इसके अलावा, न्याय विभाग के कई हितधारक वर्चुअल रूप से इस कार्यक्रम में शामिल हुए, जिससे कार्यक्रम की पहुँच और समावेशिता में योगदान मिला।

‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ अभियान, जिसे 24 जनवरी 2024 को भारत के माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली में डॉ. बीआर अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में आधिकारिक रूप से लॉन्च किया गया था, का उद्देश्य भारतीय संविधान की समझ को बढ़ावा देना और नागरिकों के बीच कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इसके प्रयासों के तहत, देश भर में क्षेत्रीय कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनमें बीकानेर, प्रयागराज, गुवाहाटी पहले ही पिछले वर्ष सफल आयोजन कर चुके हैं।

क्षेत्रीय कार्यक्रमों के अलावा, अभियान ने कानूनी जानकारी को सरल बनाने और नागरिकों के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सबको न्याय हर घर न्याय, नव भारत नव संकल्प और विधि जागृति अभियान जैसे उप-अभियान भी शुरू किए हैं। ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ पोर्टल के माध्यम से सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है, जहाँ नागरिक विभिन्न संसाधनों और कानूनी सेवाओं से जुड़ सकते हैं।

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