रंगकर्मी के रूप में उनके सहयोग और योगदान को सलाम।
1995 में अस्मिता थिएटर के स्वदेश दीपक लिखित कोर्ट मार्शल में दीपक जी ने ब्रिगेडियर सूरत सिंह की भूमिका में यादगार और ऐतिहासिक अभिनय किया।
अरविन्द गौड़
दीपक जी कुछ सालों से हिम्मत के साथ कैंसर से जूझ रहे थे। फिर भी नाटक देखने आते थे। उनकी जिजीविषा अद्भुत थी। रंगमंच से लगाव के कारण ही उनकी यह सक्रियता निरंतर बनी रही। दीपक जी का जाना दिल्ली थिएटर के एक युग के खत्म होने जैसा है। उनका समर्पण, मेहनत और जुनून की स्मृतियां सदैव हमारे साथ रहेगी। हमारी दोस्ती लगभग 40 साल पुरानी हैं। थिएटर के प्रति दीपक जी के प्रेम को, उनके स्कूल के दिनों से लेकर दिल्ली थिएटर की दुनिया में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने तक देखा।
दीपक मेरे लिए सिर्फ एक एक्टर नहीं थे, बल्कि मेरे सच्चे और खरे मित्र थे। दीपक ओचानी जी अस्मिता थिएटर के साथ पहले नाटक से ही जुड़ गए थे। अस्मिता के महत्वपूर्ण नाटकों में उन्होंने विभिन्न भूमिकाएं निभाईं।
अस्मिता थिएटर के पहले नाटक, भीष्म साहनी लिखित हानूश में राजा का शानदार चरित्र किया। गिरीश कर्नाड के तुगलक में रतन सिंह, कालिगुला में मुख्य पात्र, रघुवीर चौधरी द्वारा लिखित सिकंदर सानी और यूजीन ओ’नील द्वारा लिखित डिज़ायर अंडर द एल्म्स और शेक्सपियर के जूलियस सीज़र में सीज़र भी किया।
दीपक जी ने गिरीश कर्नाड के क्लासिक नाटक रक्त कल्याण का पहला शो 1994 में किया था, जिसमें वरिष्ठ अभिनेता जैमिनी कुमार और तब के नवोदित कलाकार दीपक डोबरियाल, मनु ऋषि चड्डा, शक्ति आनंद और राजेश कुमार बगोत्रा ने भी अभिनय किया था। दीपक जी ने राजा बिज्जल की भूमिका निभाई, जो एक यादगार चरित्र चित्रण था। उन्होंने 2010 तक रक्त कल्याण नाटक के 150 से अधिक शो किए।
1995 में अस्मिता थिएटर के स्वदेश दीपक लिखित कोर्ट मार्शल में दीपक जी ने ब्रिगेडियर सूरत सिंह की भूमिका में यादगार और ऐतिहासिक अभिनय किया।
उनका अभिनय इतना वास्तविक और प्रभावशाली था कि अधिकांश दर्शक सोचते थे कि वह असली ब्रिगेडियर हैं। लगभग 20 साल तक उन्होंने कोर्ट मार्शल के 250 से ज्यादा शो किए।
स्वास्थ्य समस्याओं के कारण पिछले कुछ वर्षों से उनकी मंचीय सक्रियता कम हो गई थी, लेकिन वे नाटक देखने आते और काम करने का वादा करके जाते थे।
कुछ माह पहले वे डाॅ धर्मवीर भारती के अंधायुग नाटक को दोबारा देखने आए थे, तब मैंने उनसे कहा, “दीपक जी, एक बार फिर से रक्त कल्याण कीजिए।” वे मुस्कराते हुए बोले, “हां, करूंगा, डबल कास्ट रखना, एक शो तो कर ही लूंगा।”
राजा बिज्जल, जूलियस सीज़र और ब्रिगेडियर सूरत सिंह उनके सबसे प्रिय और सफलतम करेक्टर थे। इन सभी नाटकों में उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा और जुनून के साथ अभिनय किया।
दीपक ओचानी जी का योगदान और कार्य दिल्ली के रंगमंच में अत्यंत महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व हैं। वे हमेशा नए कलाकारों और समूहों को प्रोत्साहित करने में सक्रिय रहे।
उन्होंने भारतीय थिएटर के प्रमुख निर्देशक अरुण कुकेजा और जॉय माइकल के साथ भी काम किया। इसके अलावा, दीपक जी ने कई टीवी फिल्में और धारावाहिकों का निर्माण और निर्देशन किया।
उन्होंने अस्मिता थिएटर के हर उतार-चढ़ाव में मेरा साथ दिया। उनकी कार्यशैली और विनम्रता अद्वितीय थी।
रंगकर्मी के रूप में उनके सहयोग और योगदान को सलाम।
दीपक जी, आपकी रंगमंच के लिए प्रतिबद्धता और समर्पण नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद हैं। आपकी ऊर्जावान उपस्थिति हमेशा हमारे साथ सदैव रहेगी।
आपको विनम्र श्रद्धांजलि- राजा बिज्जल, जूलियस सीज़र और बिग्रेडियर सूरत सिंह साहब।
-अरविन्द गौड़, निर्देशक, अस्मिता थियेटर ग्रुप