राजनीतिक सफर आरएसएस और भाजपा से शुरू हुआ
93 दिनों की ‘रथ यात्रा’ का आयोजन किया जिसका उद्देश्य ,नदियों को जोड़ना, छुआछूत उन्मूलन, आतंकवाद विरोध, एक समान नागरिक संहिता और नशीली दवाओं के खिलाफ जागरूकता फैलाना था
राधाकृष्णन को “कोयंबटूर का वाजपेयी” कहा जाता है

सी.पी. राधाकृष्णन (पूर्ण नाम: चंद्रपुरम पोनुसामी राधाकृष्णन) भारत के 15वें उपराष्ट्रपति हैं, जिन्हें 9 सितंबर 2025 को उपराष्ट्रपति चुनाव में विजयी घोषित किया गया। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े हुए हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद से नवंबर 2025 तक सेवा करने के बाद वे इस पद पर आसीन हुए। उनका चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई 2025 को इस्तीफा देने के बाद हुआ। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा – जन्म: 4 मई 1957 को तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में हुआ। परिवार कॉन्गु वेल्लाला समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो तमिलनाडु में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में वर्गीकृत है। उनके पिता का नाम सी.के. पोनुसामी है। शिक्षा उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातक और विधि में स्नातकोत्तर (एलएलबी) की डिग्री प्राप्त की। वे आरएसएस के प्रचारक के रूप में सक्रिय रहे और 1974 में भारतीय जनसंघ (भाजपा का पूर्ववर्ती संगठन) के राज्य कार्यकारी सदस्य बने। राजनीतिक करियर राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर आरएसएस और भाजपा से शुरू हुआ। वे तमिलनाडु में भाजपा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं, जहां पार्टी को मजबूत पकड़ बनाने में चुनौतियां रही हैं।लोकसभा सदस्य 1998 और 1999 के आम चुनावों में कोयंबटूर से लोकसभा सदस्य चुने गए। वे विभिन्न संसदीय समितियों के सदस्य रहे। तमिलनाडु भाजपा प्रदेश अध्यक्ष 2004 से 2007 तक इस पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने 93 दिनों की ‘रथ यात्रा’ का आयोजन किया, जो 19,000 किलोमीटर लंबी थी। इस यात्रा का उद्देश्य नदियों को जोड़ना, छुआछूत उन्मूलन, आतंकवाद विरोध, एक समान नागरिक संहिता और नशीली दवाओं के खिलाफ जागरूकता फैलाना था। अन्य भूमिकाएं 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के भारतीय विधायी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रहे। 2016 से 2020 तक केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन कोयर बोर्ड के अध्यक्ष रहे। वे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं। गवर्नर के रूप में फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक झारखंड के राज्यपाल। जुलाई 2024 से सितंबर 2025 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल (अतिरिक्त रूप से तेलंगाना, पुदुच्चेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर भी रहे)। इन पदों पर उन्होंने सामाजिक सुधार, स्थानीय विकास और आम नागरिकों की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया। 2025 उपराष्ट्रपति चुनाव नामांकन 17 अगस्त 2025 को भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने उन्हें एनडीए का उम्मीदवार घोषित किया। एनडीए के सभी सहयोगी दलों (जैसे एआईएडीएमके, जेडीयू, एनसीपी, टीडीपी) ने उनका समर्थन किया। विरोधी उम्मीदवार विपक्षी गठबंधन (इंडिया ब्लॉक) ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुधर्शन रेड्डी को उतारा। परिणाम 9 सितंबर 2025 को गुप्त मतदान से चुनाव हुआ। कुल 767 सांसदों ने वोट डाले, जिनमें से 752 वैध थे (15 अमान्य)। राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300। बहुमत के लिए 391 वोटों की आवश्यकता थी, जिसे उन्होंने आसानी से पार किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी और कहा कि वे “संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करेंगे”। गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बधाई दी। विपक्ष नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुभकामनाएं दीं, लेकिन संसदीय परंपराओं को बनाए रखने की अपेक्षा जताई। व्यक्तिगत विशेषताएं और महत्व राधाकृष्णन को “कोयंबटूर का वाजपेयी” कहा जाता है, क्योंकि वे विनम्र, गैर-विवादास्पद और मिलनसार स्वभाव के हैं। वे सामाजिक कार्यों, गरीबों और हाशिए पर रहने वालों के सशक्तिकरण पर जोर देते हैं। तमिलनाडु से तीसरे नेता के रूप में (पहले वी.वी. गिरी और जी. शंकरन) इस पद पर पहुंचना भाजपा के दक्षिण भारत में विस्तार का प्रतीक है। उपराष्ट्रपति के रूप में वे राज्यसभा के सभापति होंगे, जहां उनकी शांतिपूर्ण शैली संसदीय कार्यवाही को सुगम बना सकती है। वे अविवाहित हैं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। उनका चुनाव भारत की राजनीति में स्थिरता और समावेशिता का संकेत देता है।