09/04/2010 अब कैदियों को यातना देने से रोकथाम के लिए बनेगा कानून
जय हिन्द संवाद नई दिल्ली। यातना एवं अन्य क्रूर कृत्यों, अमानवीय और निम्नस्तरीय बर्ताव या दंड संबंधी संयुक्त राष्ट्र की संधि के अनुमोदन की दिशा में बड़ी पहल करते हुए सरकार ने यातना रोकथाम विधेयक लाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि ग्वांतानामो बे और इराक में कैदियों को दी गई यातनाओं से सभी वाकिफ हैं। इस परिप्रेक्ष्य में इस विधेयक का काफी महत्व है। उन्होंने कहा कि इससे देश के मानवाधिकार संरक्षण में काफी मदद मिलेगी। अंबिका ने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की संधि पर अक्टूबर 1997 में दस्तखत किए थे। संसद में पेश किया जाने वाला यह विधेयक उस संधि के अनुमोदन की दिशा में उठाया गया कदम होगा। उन्होंने कहा कि यह विषय संविधान की समवर्ती सूची में आता है, इसलिए राज्यों से भी इस बारे में राय ली गई थी और काफी चर्चा के बाद यह कानून बनाने का फैसला किया गया। अंबिका ने बताया कि भारतीय दंड संहिता में कुछ प्रावधान हैं, लेकिन वे यातना को उतने स्पष्ट ढंग से परिभाषित नहीं करते हैं, जितना संयुक्त राष्ट्र संधि के अनुच्छेद-1 में है। ऐसे में घरेलू कानून को संधि के प्रावधानों के अनुरूप बनाना जरूरी है।
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