17/09/2012 विधान परिषद गठन अगली सरकार में!
जयपुर। प्रदेश में विधान परिषद के गठन का सेहरा अगली सरकार के माथे ही बंधता नजर आ रहा है। संसद का मानसून सत्र समाप्त हो चुका है, लेकिन अभी तक विधान परिषद के गठन को केन्द्रीय केबिनेट की मंजूरी नहीं मिल पाई है। संसद का शीतकालीन सत्र दिसम्बर-जनवरी में आएगा और उस समय यह प्रस्ताव पारित हो भी गया तो गठन की प्रक्रिया इतनी लम्बी है कि पूरी होते-होते प्रदेश में विधानसभा चुनाव का समय आ जाएगा। प्रदेश में विधान परिषद के गठन का शगूफा पिछली सरकार ने अंतिम समय में छेड़ा था। मौजूदा सरकार ने काम आगे बढ़ाते हुए विधानसभा से प्रस्ताव पारित करा दिल्ली भिजवा दिया।
खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसमें रूचि ले रहे हैं। पिछले दिनों संसद सत्र से पहले चर्चा थी कि इसके गठन का प्रस्ताव मौजूदा सत्र में ही पारित हो जाएगा और फरवरी-मार्च तक इसका गठन हो जाएगा। लेकिन केन्द्र की मुश्किलों के चलते अभी इस प्रस्ताव को केन्द्रीय केबिनेट से भी मंजूरी नहीं मिली है। मंजूरी के बिना इसका बिल संसद में नहीं लाया जा सकता है।
मिलता फायदा अभी विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पारित हो जाता तो असंतुष्टों का ध्यान सदस्यता की ओर चला जाता और सरकार को मजबूती मिलती। लम्बी है प्रक्रिया राजस्थान में 66 सदस्यों की विधान परिषद गठित होनी है। इसमें पांच श्रेणियों के सदस्य चुने जाने हैं। इसमें सबसे बड़ी श्रेणी शिक्षकों और स्नातकों की है। इसका निर्वाचक मण्डल काफी बड़ा होगा। इस पूरी प्रक्रिया में 5-7 माह लगने की सम्भावना है। ऎसे में दिसम्बर या जनवरी में बिल पास होने के बाद भी गठन प्रक्रिया पूरी होते-होते प्रदेश में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज जाएगी।
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