फैसला अच्छा और सराहनीय है लेकिन इसकी मार से पुलिसकर्मी परेशान हैं जिसका असर उनके काम पर भी पड़ सकता है। आज तक कोई ऐसा मैकेनिज्म तैयार नहीं किया गया जिसके तहत उन्हें रियायती दरों पर डीटीसी की बसों में यात्रा करने की सुविधा मिल सके। इस मामले में पहले भी डीटीसी और पुलिस के बीच तकरार हो चुकी है लेकिन मामले का अभी तक कोई सम्मानजनक और उचित हल नहीं निकाला गया।
जरा सोचिए, एक सिपाही को 80 रुपये महीने का साइकिल भत्ता मिलता है। बसों में 4 किलोमीटर तक का टिकट 5 रुपये का है। 4 किलोमीटर एक बार आने-जाने में ही अगर 10 रुपये खर्च हो जाएंगे तो 80 रुपये कितने दिन चलेंगे।
समस्या वास्तविकता है। सरकार और पुलिस को मिलकर इसे सुलझाना होगा। विशेष अभियान 5 दिन में खत्म हो जाएगा। इसके बाद स्थिति फिर पहले जैसी हो सकती है। लेकिन यदि यह समस्या सुलझ जाती है तो एक ओर तो जहां परिवहन विभाग को बड़ा राजस्व प्राप्त होगा वहीं दूसरी ओर पुलिसकर्मी भी बिना टिकट यात्रा की जिल्लत से बचेंगे। इसके लिए मन बनाना होगा। जिस तरह सरकार छात्रों, सीनियर सिटीजन सहित कई वर्गों को छूट देकर उनके पास बनाती है उसी तरह का सिस्टम पुलिसकर्मियों के लिए भी तैयार किया जा सकता है। पुलिसकर्मरियों की सेलरी से उनके रियायती पास का पैसा सीधे डीटीसी को ट्रांसफर किया जा सकता है। मोटे अनुमान के अनुसार यदि ऐसा समझौता हो जाता है तो डीटीसी को एक करोड़ से भी ज्यादा का राजस्व प्रतिमाह मिल सकता है जिससे वे अभी तक महरूम हैं।