10/09/2012 एशिया की सबसे बड़ी लोहा मंडी की बदहाल सड़कें
दिल्ली नगर निगम हो या फिर दिल्ली सरकार अपने द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों का ढिंढोरा पीटते नहीं थकती। लेकिन ऐसा नहीं है कि वे अपना दायित्व नहीं निभाते लेकिन अपेक्षाकृत वह वास्वतिकता के अनुरूप कम ही होता है। सही मायनों में देखा जाए, तो वास्वविकता इसके बिल्कुल विपरीत है। इसका जीता जागता उदाहरण है। एशिया की सबसे यहां के व्यवसायियों एवं ग्राहकों को आना-जाना दूभर हो चुका है। यहां के व्यवसायियों को मानना है कि सन् 1975 में यहां की सड़कों का निर्माण किया गया था उसके बाद आज यहां की सड़कों का पून निर्माण नहीं किया गया।
नारायण स्थित लोहा मंडी में युनाइटेड आथरन ट्रेडर्स के प्रोपराइटर सुदेश कुमार बंसल ने बताया कि यहां की बदहाल स्थिति से सभी व्यवसयियों की दो-चार होना पड़ता है। बारिश के दिनों मे तो हालत और भी बत्तर हो जाती है। गाडिय़ों में आने वाले व्यवसायी ही अपने कार्यस्थल तक बहुत मुश्किल से पहुंचते है तो अन्यों की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। सूत्रों से पता चला है कि एसोसिएशन के अनुसार विभागीय कागजों में दो बार लोहा मंडी की सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। जब कि वास्तव में ऐसा कुद भी नहीं है। श्री बंसल ने बताया कि ऐसोसिएशन कई बार विभाग से सड़क बनवाने के संदर्भ में गुहार लगा चुका है। इसके बावजूद अभी तक संंबंधित विभाग द्वारा कोई कारगार कदम नहीं उठाए गए है। गौरतलब है लोहा मंडी से सरकार को काफी रेवेन्यू मिलता है। इसके बावजूद यहां के व्यवसायियों की सुविधाओं की और न तो सरकार की और न ही संबंधित विभाग की कोई दिलचस्पी है। दरअसल यहां के व्यवसायियों से क्षेत्र के जनप्रतिनिधि को बोट बैंक के खिलाफ से कोई फायदा नहीं होता शायद यही इस क्षेत्र की उपेक्षा का महत्वपूर्ण कारण है रिकॉर्ड में भले ही सड़के कितनी ही बार क्यों न बनी हों लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है ऐसोसिएशन जब भी विभाग के पास शिकायत लेकर जाता है। उनका एक ही जवाब होता है। हमारे पास पर्याप्त फंउ नहीं है। यहां की सड़कों का बजट तकरीवन 20-25 करोड़ रूपए है और इतना फंड विभाग के पास है नहीं/लिहाजा सड़कों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। लगभग 2 साल एक 100 फुट रोड़ का निर्माण किया गया था।
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