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10/09/2012   सी 21 को उड़ान भरते देखने के बाद प्रधानमंत्री की टिप्पणी
नई दिल्ली। श्रीहरिकोटा से पोलर सेटेलाइट लांच वेहीकल- सी 21 को उड़ान भरते देखने के बाद प्रधानमंत्री ने जो टिप्पणी की है, उसका आलेख नीचे दिया जा रहा है। च्मैंने आज भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन सी-२१ को उड़ान भरते और दो विदेशी उपग्रह ले जाते हुए सहर्ष देखा। अपने सभी भारतीय साथियों की तरफ से मैं अंतरिक्ष विभाग और इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के सभी सदस्यों की बिरादरी को इस सफलता पर हार्दिक बधाई देता हूं।

यह इसरो का १००वां मिशन है, अतरू आज का प्रक्षेपण हमारे राष्ट्र की अंतरिक्ष क्षमताओं में एक मील का पत्थर है। 
मैं ईएडीएस एस्ट्रियम ऑफ फ्रांस और जापान के ओसाका इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को उनके उपग्रहों के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण पर बधाई देना चाहूंगा। इन उपग्रहों को भारत के प्रक्षेपण वाहन के जरिये छोड़ा गया, यह इस बात का सबूत है कि भारत का अंतरिक्ष उद्योग व्यापारिक रूप से स्पर्धात्मक है और यह भारत के नवाचारों और निष्ठा के लिए एक श्रद्धांजलि है। 
इसी वर्ष हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम की ५०वीं जयन्ती की शुरूआत भी हो रही है। मुझे आज यह देखकर खुशी हो रही है कि बीते वर्षों के हमारे अनेक जाने-माने वैज्ञानिक यहां मौजूद हैं जिनमें हमारे शुरूआती चरण के अनेक वरिष्ठ परियोजना निदेशक शामिल हैं। उस समय मिली सफलताओं के सूत्र पकड़कर हम अक्सर भूल जाते हैं, कि अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी कितनी चुनौतीपूर्ण है और यह अब भी तुलनात्मक रूप से यह एक नया क्षेत्र बना हुआ है। भारत को अपने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों पर सचमुच ही गर्व है। उन्होंने गहन कठिनाइयों का सामना करके विश्व श्रेणी की सुविधाएं स्थापित की हैं और उन्नत टेक्नोलॉजी विकसित की हैं। इस दिशा में हम अपने अग्रणी रहे वैज्ञानिक डॉक्टर विक्रम साराभाई और प्रोफेसर सतीश धवन के बहुत ऋणी हैं। मुझे प्रोफेसर धवन के साथ निकटतापूर्वक काम करने का स्मरण है और मैं १९७० के दशक के बाद वाले वर्षाे में अंतरिक्ष मिशन का एक सदस्य था। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं लंबे अरसे तक अंतरिक्ष संबंधी प्रयासों में उनके साथ रहा। यह उचित ही है कि हमारे अति आधुनिक मिशन कन्ट्रोल केन्द्र का नाम प्रोफेसर सतीश धवन के नाम पर रखा गया है। 
अक्सर सवाल पूछे जाते हैं कि भारत जैसा गरीब देश क्या अंतरिक्ष कार्यक्रम का खर्च बर्दाश्त कर सकता है और क्या जो पैसा अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर खर्च किया जा रहा है, उसका बेहतर इस्तेमाल कहीं अलग नहीं किया जा सकता? ऐसा सवाल पूछने वाले भूल जाते हैं कि किसी राष्ट्र राज्य का विकास अंततरू उसकी तकनीकी कोशिशों का उत्पाद होता है। हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक पूर्वजों को भी इसी तरह की दुविधा का सामना करना पडा था, लेकिन उन्होंने अपनी दूरदृष्टि बनाये रखी। जब हम उनके शुरू किये गये कार्यों के समाज और राष्ट्र को होने वाले अनन्य लाभों पर नज़र डालते हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई देते हैं तो हमें इस बात पर कोई शक नहीं रहता कि उनकी सोच सही थी। इसी तरह मुझे भी इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इसरो एक शानदार परंपरा कायम करेगा और इससे भी बड़ी बुलंदियां पार करेगा। 
इसरो के वैज्ञानिक हमारे देश के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे हैं क्योंकि देश में हमेशा सितारों के आगे झांकने की ललक रही है। मैं आप सबको सर्वश्रेष्ठ शुभकामनाएं देता हूं क्योंकि आप विज्ञान और टेक्नोलॉजी की सीमाएं आगे बढ़ाने और उसके जरिये समाज को लाभ पहुंचाने तथा अपने महान देश के सामाजिक आर्थिक विकास में तेजी लाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। जय हिन्द।


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