इसका ताजा उदाहरण सिविल अस्पताल में उपचाराधीन मनजीत कौर है। मनजीत कौर के मुताबिक वह 22 अगस्त को सिविल अस्पताल रूपनगर में डिलीवरी करवाने पहुंची थी। डाक्टरों ने उसे अस्पताल में दाखिल करना भी उचित नहीं समझा, जिसकी वजह से उसे एक प्राइवेट नर्सिग होम में जाकर डिलीवरी करवाने के लिए मजबूर होना पड़ा। प्राइवेट नर्सिग होम में डिलीवरी करवाने पर जहां आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ा, वहीं डाक्टरों की लापरवाही के चलते महिला के गर्भाशय में पंट्टी छोड़ दी गई। इससे उसकी बीमारी और बढ़ गई थी। सेहत बिगड़ने पर उसे रविवार रात को फिर सिविल अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा है।
क्या है योजनाएं
बता दें कि राष्ट्रीय रूरल मिशन के तहत सरकार ने अस्पतालों में सौ फीसदी डिलीवरी करवाने को यकीनी बनाने के लिए ढेर सारी स्कीमें बना रखी हैं, जहां अस्पतालों में डिलीवरी मुफ्त की जाती है वहीं इलाज पर आने वाले सभी खर्च सरकार सहन करती है। इसी तरह ग्रामीण व शहरी महिलाओं को अस्पताल में लाने के लिए किराया दिया जाता है या फिर एम्बुलेंस 108 नंबर में गर्भवती महिला को लाया व छोड़ा जाता है। इसके अलावा महिला को पांच सौ रूपये से लेकर एक हजार रुपये तक का भुगतान किया जाता है।
डाक्टरों की कमी भी बड़ा कारण
सरकारी अस्पतालों में गायनी विशेषज्ञों की भारी कमी है। इसके अलावा प्राइवेट नर्सिग होम के मुकाबले सरकारी अस्पतालों में रहन सहन भी उचित नहीं है। इसकी वजह से लोग प्राइवेट नर्सिग होम में डिलीवरी करवाने को पहल देते हैं। कुछ डाक्टरों ने बताया कि अस्पतालों में गायनी विशेषज्ञों की कमी है। एक डाक्टर को ओपीडी में मरीजों को चेक करना पड़ता है और डिलीवरी भी करवानी पड़ती है। ऐसे में डाक्टरों पर काफी बोझ रहता है।
मामले की होगी जांच : एसएमओ
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ मेडिकल अधिकारी (एसएमओ) डा. गुरमहिंदर सिंह का कहना है कि अस्पताल में गर्भवती महिला की मुफ्त डिलीवरी करवाई जाती है। उन्होंने कहा कि जुलाई माह में 97 व अगस्त में अब तक 87 डिलीवरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मनजीत कौर के मामले में जांच की जाएगी।