केन्दीय शहरी विकास मंत्रालय सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में शपथ पत्र भी देने जा रहें हैं कि जिन कॉलोनियों को नियमित करने की उनकी योजना है वहां सभी पकार की औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। लेकिन सरकार के पास इस बात का कोई जबाव नहीं है कि उन कॉलोनियों को क्या करेगी जो सरकार द्वारा अधिकृत सीमा के बाहर बसी है और उनके बसने का समय भी लगाग वही है जो इन कॉलोनियों का है।
राजस्व विभाग के अधिकारियों को मानना है कि उच्च न्यायालय में सरकार के पास इस सवाल को जबाव शायद ही हो। सरकार की नीति सीमा से बाहर बसी इन कॉलोनियों को लेकर स्पष्ट नहीं है। इन कॉलोनियों में भी लाखों की संख्या में लोग रहते हैं।
दिल्ली सरकार और उसके अधिकारी आज की तारीफ में एक शब्द से बचते नजर आ रहें है वह है डीमोलिश। राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि, उच्च न्यायालय में यदि यह सवाल उठाता है कि निर्धारित सीमा के बाहर बसी कॉलोनियों को क्या सरकार तोड़ेगी तो उनका जबाव न में ही होगा। डीडीए द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य सरकार की शहरी विकास मंत्रालय उन कॉलोनियों को सीमा निर्धारित करने के लिए 2007 में सेटेलाईट से लिये गये डाटा का पयोग करे। उस आदेश में डीडीए ने यह भी कहा था कि उसके साथ कॉलोनियों के कुछ सुविधाएं जैसे सड़क, ड्रेन रेलवे लाईन, नल्ला एवं बाई लाईन भी हो जों सेटेलाईट से लिये गये फोटो से मेल