23/08/2012 सबीना , गीतिका , फिजा , मधुमिता ,भावरी और जाने कितने नाम अभी और सामने आने है ..
महत्वाकांक्षा इन लड़कियों को अपना सब कुछ डाव पर लगाने को मजबूर करती है या अपनी महत्वाकांक्षा के आगे इन सब चीजों को पहले नजरअंदाज और फिर सब खो जाने का एहसास इनको अपनी हि दुनिया मैं अकेला कर देता है . आखिर दोषी कौन .... ऊँचे सपने.... घाघ राजनेता और उद्योगपति .... या फिर दुनिया मैं सब कुछ बहुत जल्दी पाने की लालसा .... क्या वक्त फिर से चेतावनी दे रहा है की हमे वापस नैतिक मूल्यों और भावनाओ के लिए संजीदा होना पड़ेगा नहीं तो पता नहीं कितनी और फिजाए अभी और आये
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