सोनिया गांधी के निवास पर हुई इस रणनीति बैठक में हिस्सा लेने वालों में रक्षा मंत्री ए के एंटनी, वित्त मंत्री पी चिदम्बरम, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल और संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी नारायणसामी शामिल थे.
यह बैठक कैग की रिपोर्ट संसद में आने के कुछ घंटे बाद हुई. कैग ने कहा है कि कोयला खानों को प्रतिस्पर्धी बोलियों की बजाय आवेदन के आधार पर आवंटित करने से चुनिंदा निजी फर्मों को संभावित 1.86 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ. सीएजी की राय में यदि प्रतिस्पर्धात्मक बोली के जरिए आवंटन किए गए होते तो निजी फर्मों के इस संभावित लाभ का एक हिस्सा सरकारी खजाने को भी मिल सकता था.
विपक्ष ने कोल ब्लाक के आवंटन के कारण हुए नुकसान के लिए प्रधानमंत्री से नैतिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की मांग की. कांग्रेस बीफ्रिग में पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भाजपा की इस मांग को अनावश्यक और राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास बताते हुए खारिज कर दिया.
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने भी कोयला ब्लॉकों के आवंटन पर कैग की रिपोर्ट को खारिज किया है कि सीधे नामांकन के जरिए आवंटन से निजी कंपनियों को 1.86 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ.
जायसवाल ने कैग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि इस बारे में नीति पारदर्शी थी और उसमें कुछ गलत नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए अपनाई गई नीति में खामी नहीं थी. इससे पारदर्शी और नीति नहीं हो सकती थी क्योंकि 2004 में प्रतिस्पर्धी बोली की व्यवस्था ही नहीं थी.
कांग्रेस प्रवक्ता तिवारी ने भाजपा पर दोहरा मानदंड अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि प्रदेशों के लिए उनका एक आचरण और केंद्र के लिए दूसरा आचरण होता है. कैग जब गुजरात और छत्तीसगढ़ सरकार की गडबडियों की बात करती है तो विपक्ष का स्वर कुछ और होता है और जब यह केंद्र सरकार के किसी विभाग से संबंधित होती है तो भाजपा का स्वर कुछ और होता है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कोयला ब्लाकों के आवंटन में कुछ गलत नहीं किया है. उन्होंने कहा कि जब राज्यों की राय ली गई थी तो भाजपा शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने और साथ ही वाम शासित पश्चिम बंगाल ने निलामी प्रक्रिया का विरोध किया था.