16/08/2012 जिले में कई थे आजादी के परवाने
रूपनगर ( पियूष ) स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में जिले के चप्पे-चप्पे से आजादी के परवाने हुलारा भरते थे, जिले के हर हिस्से से निकल कर स्वतंत्रता सेनानी देश की खातिर मर मिटने के लिए आगे आए थे। इस आशय की जानकारी ंवर्षो पूर्व जिला लोक संपर्क विभाग की ओर से प्रकाशित रोपड़ जिले के स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी से से मिलती है। संयुक्त रूपनगर जिला (मोहाली समेत) से करीबन 213 स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र है। मौजूदा रूपनगर जिले के करीबन 117 स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र है। हालांकि, फिलहाल अंगुली पर गिनने लायक सेनानी ही बचे हैं। खजाना विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार फिलहाल 37 लोगों को स्वतंत्रता सेनानी वाली पेंशन मिल रही है। यह अलग बात है कि इन पेंशनधारियों में अधिकांश सेनानी की विधवा हैं।
जिले के गजेटियर में पहले स्वतंत्रता सेनानी का नाम पंडित कांसीराम का आता है। जो गदर पार्टी के पहले खजांची थे। यदि गजेटियर व स्वतंत्रता संग्राम की जीवनी को आधार बनाया जाए तो कहा जा सकता है कि पंडित कांसीराम के रोशनी में आने के पूर्व जिले में स्वतंत्रता सेनानी पूरी तरह से सरगर्म थे। यह अलग बात है कि जिले की भौगोलिक स्थित मौजूदा से खंडित होने के कारण सरगर्मी का केंद्र कहीं और था। जिले के पुराने स्वतंत्रता सेनानियों में कृपा सिंह, जत्थेदार गुरदित्त सिंह, जत्थेदार उधम सिंह आदि के नाम शामिल हैं। कृपा सिंह करतार सिंह सराभा के साथी थे। इन्हें पुलिस द्वारा समय-समय पर अलग-अलग जगहों पर करीबन 20 वर्षो तक नजरबंद रखा गया था। रूपनगर शहर से जुड़े स्वतंत्रता सेनानी नौबत राय दर्दी का नाम भी प्रमुखता से आता है, जिनके बारे में जिक्र है कि नौवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान 1930 में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की फांसी के विरोध में जुलूस निकाला था। इन्होंने करीबन तीन सौ तीन जेल में गुजारे थे, महीनों इन्हें नजरबंद रखा गया था। सेनानी किशन वैद्य कविराज की डिग्री लेने के बाद स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे। बताया गया है कि इन्होंने महात्मा गांधी के साथ दांडी मार्च में हिस्सा लिया था। इन्हें करीबन एक वर्ष जेल में गुजारना पड़ा था। सेनानी हरनाम सिंह का भी उन दिनों नाम हुआ करता था। वह अखबार में लेखन के साथ-साथ सियासी कांफ्रेंस में लोगों को प्रेरित किया करते थे। संग्राम के दिनों यह कई बार गिरफ्तार होते रहे। जिले के स्वतंत्रता सेनानियों में उपलब्ध जानकारी के अनुसार एक ही नाम सामने आता है, वह है बीबी लाभ कौर जी का। जो कि गांव माजरी जंट्टां से जुड़ी थीं। वह इंडियन इंडिपेंडेंट लीग में हिस्सा ली थीं। इन्होंने सात माह जेल में बिताया था। इसी तरह जिले के अन्य स्वतंत्रता सेनानी अपने-अपने हिस्से का अमूल्य योगदान दिया था। जिले के कई स्वतंत्रता सेनानी आजाद हिंद फौज से जुड़े रहे हैं।
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