12/08/2012 बच्चे की मौत पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और चश्मदीद के बयान अलग
गुड़गांव शहर में बीते बुधवार जमकर बारिश हुई। दोपहर बाद स्वरूप गार्डन में रहने वाला 11 साल का चिराग अपने स्कूल की बस से उतरकर घर की ओर बढ़ा लेकिन अचानक रेलवे रोड पर एक फैक्ट्री के सामने वह पानी में गिरा और उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मौत गड्ढे में डूबने से हुई। 2 दिन बाद पानी सूखने पर पता चला कि मौके पर कोई गड्ढा है ही नहीं। घटनास्थल पर मौजूद पप्पू के मुताबिक पानी में करंट था। बच्चे को बचाने के लिए वह ज्यों ही पानी में घुसा उसे झटका लगा और वह बच्चे को बचा नहीं सका।
एनबीटी ने मौके पर जाकर देखा तो तस्वीर थोड़ी साफ और सवाल थोड़े उलझे दिखे। घटनास्थल पर मौजूद ट्रांसफॉर्मर की अर्थिंग का तार जमीन के अंदर जा रहा है। उसकी प्रॉपर कवरिंग घटना के बाद की गई है। ऐसे में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर सवाल उठता है? बिजली निगम की लापरवाही के लिए जिम्मेदारी लेने वाला कोई क्यों नहीं है? क्या तड़पकर जान गंवाने वाले मासूम की मौत का कोई गुनहगार नहीं है? सवाल कई हैं। मां-बाप बिलख रहे हैं और पूछ रहे हैं क्या यही इंसाफ है? स्वरूप गार्डन में रहने वाले अश्वनी शर्मा कुरियर कंपनी में काम करते हैं। उनका 11 साल का बेटा चिराग स्पेशल चाइल्ड (मंदबुद्धि) था। लगभग ढाई साल से चिराग सेक्टर-10 के खुशबू वेलफेयर सोसायटी में पढ़ रहा था। रोजाना की तरह बीते बुधवार दोपहर 2:30 बजे स्कूल की मिनी बस ने उसे रेलवे रोड पर कोस्को फैक्ट्री के सामने उतारा। चिराग वहां अपनी मां को न पाकर अकेले घर की ओर चल दिया। चिराग की मां आरती शर्मा के अनुसार, कभी-कभी वह लेट हो जाती या बस पहले आ जाती तो चिराग अकेला ही घर पहुंच जाता था। चिराग अचानक सब्जी मंडी के पास बारिश के पानी में गिर पड़ा। आसपास के लोग उसे बचाने पहुंचे। जहां चिराग गिरा था, वहां ट्रांसफॉर्मर की अर्थिंग का तार आ रहा था। इससे पानी में करंट आ रहा था। एनबीटी ने मौके का जायजा लिया और पाया कि घटनास्थल पर ऐसा कोई गड्ढा नहीं था, जिसमें डूबकर किसी बच्चे की मौत हो सके। ट्रांसफॉर्मर की अर्थिंग पर कोटिंग करने का काम घटना के बाद किया गया था। साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी प्रॉपर अर्थिंग घटना के बाद की गई है। जैसे तैसे लोगों ने चिराग को निकाल कर हॉस्पिटल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रशासन ने नहीं ली सुध प्रशासन की लापरवाही का शिकार चिराग के परिजनों की सुध लेने प्रशासन का कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा। हालांकि शुक्रवार को स्कूल की प्रिंसिपल और एक दो टीचर सांत्वना देने उनके घर पहुंचे। चिराग के पिता ने बताया कि वह स्कूल को फीस और बस का खर्चा मिलाकर लगभग 1 हजार रुपये महीना अदा करते थे। बच्चे के पानी में गिरते ही मैं उसे बचाने के लिए आगे बढ़ा लेकिन जैसे ही मेरा शरीर पानी से टच हुआ मुझे जोरका झटका लगा और मैं पीछे गिर गया। किसी तरह बच्चे को बाहर निकालकर आसपास के लोगों की मदद से उसेहॉस्पिटल ले जाया गया। पप्पू , चश्मदीद बच्चे के शरीर में काफी पानी पहुंच चुका था। पानी के अंदर सांस न ले पाने से बच्चे का दम घुट गया , जिससेउसकी
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