लगभग डेढ़ लाख रुपए के अपने वर्तमान मासिक वेतन पर सेन को इतना कमाने में लगभग 83 साल लग जाते.
रूस के इंटरनेट व्यापारी यूरी मिल्नर द्वारा शुरु किया गया 'रूसी नोबेल पुरस्कार' नाम का ये इनाम आठ और लोगों को भी दिया गया है.
सेन इन अमरीकी और रूसी वैज्ञानिकों की सूची में अकेले भारतीय हैं.
पिछले दो दशकों से सेन भौतिक वैज्ञान की 'एसोटेरिक' शाखा में 'स्टरिंग थ्योरी' पर काम करते आ रहे हैं.
ये गणित का कठिन सिद्धांत है जिससे सृष्टि के सभी द्रव्य और ऊर्जा को समझाने की उम्मीद है.
अशोक सेन का कहना है कि स्टरिंग सिद्धांत इस तर्क पर आधारित है कि द्रव्य के सभी तत्व 'पोआयंट पार्टिकल' नहीं हैं बल्कि एक लड़ी हैं.
इस सिद्धांत से कुदरत के मजबूत कमजोर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ताकतों को समझाने में मदद मिलती है.
गणित के इस सिद्धांत को सिद्ध किया या झुठलाया नहीं जा सकता क्योंकि जिनेवा में 'सर्न' की तरह अणु को तोड़-फोड़ करने वाले इतनी उर्जा नहीं जुटा सकते जिससे इस स्टरिंग थ्योरी का परीक्षण किया जा सके.
सेन ने कहा कि उन्हें इस पुरस्कार दिए जाने पर हैरानी हुई है क्योंकि उन्होंने इसके बारे में तब तक नहीं सुना था जब तक यूरी मिल्नर का फोन नहीं आया.
उन्होंने कहा कि वे अभी तक उनसे नहीं मिले हैं लेकिन उनके फोन के बाद से उनका बैंक खाता अचानक बहुत बड़ा हो गया है.
बंगलौर के जवारह लाल नेहरू वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र पर काम करने वाले प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार सीएनआर राव कहते हैं, ''यह प्रशंसनीय है कि मूलभूत अनुसंधान में एक भारतीय भौतिक वैज्ञानिक हैं जिन्हें इस तरह का सम्मान दिया जा रहा है. यह भारत में विज्ञान के लिए बहुत अच्छी बात है.''
सेन की पत्नी सुमथि राव भी इसी संस्था में भौतिक वैज्ञानिक हैं और उनका कोई बच्चा नहीं है.
पैदल चलने के शौकीन सेन कहते हैं कि उन्हें खाना पकाना और अपने दोस्तों और परिवार वालों के लिए स्वादिष्ट तली हुई मछली परोसना भी पसंद है.
वे कहते हैं कि वे बिल्कुल धार्मिक नहीं हैं हालांकि वे सभी धर्मों का आदर करते हैं. भले ही वे संगम के ज्यादा दूर नहीं रहते लेकिन वे कहते हैं, ''मैं पवित्र नदी गंगा में डुबकी नहीं लगाता.''
सेन कहते हैं कि उन्होंने अभी यह नहीं सोचा है कि वो इस पैसे की बरसात का क्या करेंगे.
लेकिन उनका कहना है कि अगर जल्दी ही उन्होंने या उनके मुख्य संस्थान परमाणु ऊर्जा विभाग ने उनके कर से छूट के लिए अर्जी नहीं दी तो उन्हें 10 लाख डॉलर यानी पांच करोड़ रुपए तक कर के रूप में देना पड़ सकता है.