कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी आडवाणी की इस टिप्पणी से खासी नाराज नजर आईं.
आमतौर पर संसद की कार्यवाही के दौरान नपा-तुला बोलने वाली सोनिया गांधी ने अपनी सीट पर बैठकर ही बेहद गुस्से में प्रतिक्रिया दी.
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने आडवाणी के बयान को 'सभी का....संसद का अपमान' बताया. संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने भी आडवाणी के बयान पर आपत्ति जताई.
शिंदे ने कहा, ''आडवाणी एक वरिष्ठ नेता हैं. हम सभी उनका सम्मान करते हैं. लेकिन आज उन्होंने कह दिया कि वर्ष 2009 का पूरा चुनाव ही अवैध था. ये हम सबका अपमान है. मुझे लगता है कि उन्हें अपने शब्द वापस लेना चाहिए.''
लेकिन बाद में आडवाणी ने माना की उन्होंने यूपीए के दूसरे कार्यकाल के लिए ये वक्तव्य गलती से दे दिया लेकिन उनका संदर्भ संसद में हुए विश्वास मत से था.
इसके बाद लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने भी आडवाणी की तरफ से सफाई देते हुए कहा, ''सरकार की विफलता आर्थिक मोर्चे पर ही नहीं राष्ट्रीय सुरक्षा मोर्चों पर ज्यादा है क्योंकि उन्होंने बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ को नहीं रोका. वे अप्रासांगिक नहीं बोल रहे थे. साथ ही आडवाणी वर्ष 2008 में हुए विश्वास मत का संदर्भ दे रहे थे और उन्होंने 2009 की सरकार को अवैध नहीं कहा.''
इसके पहले बीजेपी नेता आडवाणी ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों से भारत की सुरक्षा पर खतरा है.
संसद के पहले ही दिन सरकार को बचाव की मुद्रा में लाने की रणनीति के तहत भाजपा ने असम का मुद्दा उठाने की घोषणा की थी.
भाजपा के नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने असम में हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए पूरी तरह केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद असम का प्रतिनिधित्व करते हैं और वो इससे बच नहीं सकते.
आडवाणी ने कहा कि असम की हिंसा को हिंदू-मुसलमान हिंसा के रूप में नहीं देखना चाहिए.