08/08/2012 आईएलओ समझौतों पर भारत के दृष्टिकोण के बारे में श्रम और रोजगार मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति को जानकारी
नई दिल्ली। श्रम और रोजगार मंत्रालय की सलाहकार समिति ने सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि श्रम संबंधी मामलों, खासकर बाल मजदूरी के बारे में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा अपनाये गये समझौतों के संशोधन का समर्थन करते समय परंपरागत कौशल को उचित संरक्षण दिया जाना चाहिए। सदस्यों ने कर्मचारी भविष्य निधि कोष (ईपीएफ) लाभार्थियों को कम से कम एक हजार रूपये प्रतिमाह की पेंशन देने और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, खासकर निर्माण श्रमिकों का उचित पंजीकरण सुनिश्चित करने के मुद्दों में तेजी लाने पर भी जोर दिया है।
श्रम और रोजगार मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक कल शाम आयोजित की गई थी। यह बैठक आईएलओ के विभिन्न समझौतों और भारत सरकार द्वारा समय-समय पर किये गए समर्थन के बारे में सदस्यों को जानकारी देने के लिए बुलाई गई थी। इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री और बैठक के अध्यक्ष श्री मलकार्जुन खडगे ने कहा कि भारत आईएलओ का संस्थापक सदस्य है और सन् १९२२ से आईएलओ की प्रबंध संस्था का स्थायी सदस्य है। अब विस्तारित आईएलओ में कुल १८५ देश इसके सदस्य हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों के बारे में भारत का दृष्टिकोण सदा सकारात्मक रहा है। आईएलओ समझौतों ने श्रमिकों के हितों की सुरक्षा और वृद्धि के लिए विधायी और प्रशासनिक उपायों को तैयार करने के लिए दिशानिर्देश और उपयोगी ढांचा प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि भारत में सदा यह परंपरा रही है कि हम किसी समझौते का तभी समर्थन करते हैं जब हम पूरी तरह संतुष्ट हो जाते हैं कि हमारे कानून और परंपरायें आईएलओ के संबद्ध समझौते के अनुरूप हैं। आईएलओ ने अब तक १८९ समझौतों और २०१ अनुशंशाओं को स्वीकार किया है। आईएलओ के १८९ समझौतों में से भारत ने अब तक ४३ समझौतों की पुष्टि की है। इनमें ४ मूलभूत मानवाधिकार समझौते हैं। श्री खडगे ने कहा कि आईएलओ के मूलभूत और प्रशासन संबंधी समझौतों की पुष्टि और प्रोत्साहन के बारे में सदस्य देशों के सामने समस्याएं मुख्य रूप से समझौतों का उनके राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप न होने और तकनीकी सहायता की कमी के कारण हैं। उन्होनें कहा कि भारत का दृष्टिकोण यह है कि इन समझौतों की पुष्टि की प्रक्रिया धीमी होनी चाहिए और सदस्य देशों को पुष्टि के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा करने के वास्ते पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। सामाजिक न्याय ाोषणा से संबंधित चार प्रशासनिक समझौतों को उन्नति संबंधी मुद्दों से जोड़ा जाना चाहिए। हमें इन समझौतों की पुष्टि और प्रोत्साहन के लिए अधिक तथ्यपरक और यथार्थपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इस बैठक में जिन संसद सदस्यों ने भाग लिया उनके नाम हैं सर्वश्री गुरूदास दासगुप्ता, आर के सिंह पटेल (समाजवादी पार्टी), रामसुंदर दास (जेडीयू), एन पीठाम्बरा (कांग्रेस), बद्रीराम जाखड़ (कांग्रेस) और श्री मंगला किशन (बीजेडी)। श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव डॉ० एम सारंगी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया।
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