06/06/2012 करोड़ों लोगों ने देखा आकाश में शुक्र का दुर्लभ पारगमन
नई दिल्ली(न्यूज भाषा) 06 जून 2012, सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आने से होने वाले सूर्य ग्रहण का नजारा आपने कई बार देखा होगा लेकिन इस समय पूरी दुनिया में ऐसा सूर्य ग्रहण लगाए जो इस सदी में आखिरी बार हुआ।
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चंद्रमा से साढ़े तीन गुना बड़े शुक्र ग्रह ने पृथ्वी और सूर्य के बीच चक्कर लगाया। जाहिर है इस समय सूरज के ऊपर शुक्र एक छोटे से काले धब्बे की तरह दिखाई दिया। भारत में शुक्र ग्रहण 10 बजकर 19 मिनट तक रहा। प्राचीन सभ्यताओं में प्रेम के देवता के रूप में जाना जाने वाला शुक्र आज तड़के से धीरे-धीरे सूर्य के एक छोर से दूसरे छोर तक रफ्ता रफ्ता गुजरा। बता दें कि भारत में भी इस घटना को देखने के लिए काफी उत्सुकता देखी गई। पूर्वी भारत के लोग इस घटना को सूरज उगने के साढ़े 5 घंटे तक देख सके जबकि पश्चिम भारत में ये नजारा सिर्फ 4 घंटे तक नजर आया। भारत में इस नजारे के देखने का सबसे बेहतरीन समय सुबह 10 बजकर 3 मिनट के बाद रहा। इस समय शुक्र ग्रह सूर्य के आभामंडल से बाहर आ रहा था। वैसे सूरज पर शुक्र ग्रहण के इस नजारे में 4 संपर्क बिंदु थे। 1. जब शुक्र ग्रह सूर्य की बाहरी परिधि को स्पर्श किया। 2. इसके तुरंत बाद जब शुक्र ग्रह सूर्य की परिधि के किनारे एक छोटे निशान के रूप में देका गया। कई घंटे की दूरी तय करने के बाद तीसरा संपर्क बिंदू तब आया जब शुक्र ग्रह सूर्य की आंतरिक परिधि के दूसरे छोर पर पहुंच गया और अंतिम बिंदू. जब सूर्य की परिधि को स्पर्श करते हुए ये घटना खत्म हुई। भारत में ये अद्बुत घटना करीब साढे 4 घंटे तक दिखाई दिया। आसमान में हो रहे इस अद्भुत नजारे को लेकर खगोलशास्त्री भी बेहद उत्साहित दिखाई दिए। क्योंकि आज होने वाली ये ऐतिहासिक खगोलीय घटना अगले 100 बरस के बाद ही होगी। वीनस ट्रांजिट का अगला नजारा एक सदी बाद 11 दिसंबर 2117 में दिखाई देगा जबकि टेलीस्कोप की खोज के बाद अब तक इस घटना को सिर्फ सात बार ही देखा जा सका है। इसमें साल 1631, 1639, 1761, 1769, 1874, 1882 और 2004 के वीनस ट्रांजिट शामिल हैं। आखिर क्या होता है शुक्र पारगमन!
जिस प्रकार पृथ्वी एवं सूर्य के बीच चंद्रमा के आने पर सूर्यग्रहण की स्थिति निर्मित होती हैए उसी प्रकार अन्य ग्रह भी पृथ्वी एवं सूर्य के मध्य आते हैंए परंतु वे पृथ्वी से काफी दूर होने के कारण आकार में छोटे दिखाई देते हैं और सूर्य को ढंक नहीं पाते और एक बिंदु के समान सूर्य की छाया से गुजरते हुए दिखाई पड़ते हैंए इसे ही पारगमन कहते हैं। सूर्य बिंब के ऊपर से पारगमन की घटना आंतरिक कक्षा वाले ग्रह बुध एवं शुक्र के साथ ही होती है। इससे सूर्य पर एक छोटा काला धब्बा बना है। 243 साल में महज चार बार होने वाली इस घटना का नजारा आप अगली बार नहीं देख पाएंगे क्योंकि यह घटना 6 जून के बाद 11 दिसंबर 2117 को होगी। कहां-कहां देखा जा सकेगा भारत के अलावा यह घटना पूर्वोत्तर ऑस्ट्रेलिया,न्यूजीलैंड,फिलीपींस, उत्तर एशिया,पूर्वोत्तर चीन, कोरिया, जापान,पसिफिक महासागर, न्यू गुयाना, हवाई, रुस, अलास्का, उत्तर-पश्चिम कनाडा में दिखाई देगा। सूर्योदय के साथ इसे खाड़ी, दुबई, सिंगापुर, मलेशिया एवं नेपाल में देखा जा सकेगा। बिना किसी साधन के इसको देखने को प्रयास न करें अन्यथा आंखों के खराब होने का भय है। भारत में ये अद्बुत घटना करीब साढे 4 घंटे तक दिखाई दिया। आसमान में हो रहे इस अद्भुत नजारे को लेकर खगोलशास्त्री भी बेहद उत्साहित दिखाई दिए। क्योंकि आज होने वाली ये ऐतिहासिक खगोलीय घटना अगले 100 बरस के बाद ही होगी। |
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