04/06/2012 सेक्टरों में चल रहे हॉस्टलों से सेक्टरवासी परेशान
2012-06-04
ग्रेटर नोएडा(न्यूज भाषा) 04 जून 2012, सेक्टरों में जगह-जगह खुले पीजी लंबे समय से सेक्टर वासियों के लिए परेशानी बने हुए हैं। इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह स्थिति तब हैए जबकि प्राधिकरण ने सेक्टरों में किसी भी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियों पर रोक लगा रखी है।
सेक्टरों में चल रहे हॉस्टलों से सेक्टरवासी परेशान | |
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ग्रेटर नोएडा(न्यूज भाषा) 04 जून 2012, सेक्टरों में जगह-जगह खुले पीजी लंबे समय से सेक्टर वासियों के लिए परेशानी बने हुए हैं। इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह स्थिति तब हैए जबकि प्राधिकरण ने सेक्टरों में किसी भी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियों पर रोक लगा रखी है। पीजी बंद करने के लिए सेक्टर के लोग व विभिन्न सामाजिक संगठन प्राधिकरण व प्रशासन से दर्जनों बार गुहार लगा चुके हैं। समस्या को देखते हुए डेढ़ साल पूर्व प्रशासन ने सेक्टरों में संचालित हो रहे पीजी को चिंहित करने की कार्रवाई शुरू की। अभियान के तहत 63 पीजी चिंहित किए गए। प्राधिकरण ने सख्त अभियान चलाने का दंभ भरा। पीजी संचालकों को नोटिस देने व उन्हें बंद करने की कार्रवाई शुरू हुई। इसे देख लोगों को उम्मीद जगी कि लंबे समय से चली आ रही समस्या से निजात मिलेगी। हालांकि, एक-दो पीजी के खिलाफ कार्रवाई के बाद प्राधिकरण भी शांत हो गया। इसके बाद लोगों ने पीजी के बोर्ड उतारकर घरों में रख दिया, लेकिन धंधा बंद नहीं हुआ। लोगों को अब भी प्राधिकरण की कार्रवाई शुरू होने व पीजी बंद होने का इंतजार है।
शहर बसाते वक्त प्राधिकरण ने नियम बनाए। इसमें एक नियम के तहत आवासीय सेक्टर में व्यवसायिक गतिविधियों को इजाजत नहीं दी गई। इसके लिए अलग से भूखंड आवंटित किए गए। नियम का उल्लंघन करने वाले का आवंटन निरस्त करने का भी नियम बनाया गया। शुरुआत में नियम का कड़ाई से पालन कराया गया। धीरे-धीरे शिथिलता आती गई। परिणाम स्वरूप लोगों ने नियम को ठेंगा दिखाना शुरू कर दिया। वर्तमान में स्थिति बद से बदतर हो गई है। प्रशासन ने विभिन्न सेक्टरों में 63 पीजी चिन्हित किए, लेकिन सच्चाई इससे उलट है। अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा सहित अन्य सेक्टरों की हर गली में पीजी संचालित हो रहे हैं। मात्र अल्फा एक व दो सेक्टर में करीब पचास पीजी संचालित हो रहे हैं। इसके विषय में सेक्टर के लोग प्रशासन व प्राधिकरण को सूचना दे चुके हैं। शहर के नॉलेज पार्क में तीन दर्जन से ज्यादा कॉलेज हैं। यहां पर करीब साठ हजार छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं। ज्यादातर कॉलेजों में क्षमता के अनुसार हॉस्टल की सुविधा नहीं है। साथ ही हॉस्टल में छात्रों को विभिन्न सुविधाएं भी नहीं मिलती। आने-जाने के समय पर पाबंदी होती है। इस कारण छात्र पीजी में रहना अधिक पसंद करते हैं। सेक्टरों में संचालित हो रहे पीजी से सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को हो रही है। पीजी में रहने वाले छात्र अक्सर देर रात तक पार्टियां करते रहते हैं। तेज आवाज में गाना बजाकर छतों पर शराब पीते हुए खुलेआम डांस करते हैं। खाली बोतलों को सड़क पर फेंककर तोड़ देते हैं। विरोध करने पर लोगों के साथ लड़ाई करने पर उतारू हो जाते हैं। एक बाइक पर तीन-चार छात्र सवार होकर आते हैं। महिलाओं पर अश्लील कमेंट करते हैं। पूर्व में कई बार छात्रों व सेक्टर वासियों के बीच लड़ाई हो चुकी है। सेक्टर अल्फा एक के महासचिव शेर सिंह भाटी का कहना है कि हमने अपने स्तर सेक्टर में संचालित हो रहे 26 पीजी चिन्हित किए औ प्राधिकरण को जानकारी दी। अधिकारियों से इन्हें बंद करने की मांग की गई। बड़े.बड़े दावे फाइलों में दब कर रह गए। कार्रवाई के दावे ढाक के तीन पात साबित हुए। महाप्रबंधक अर्बन आरके देव का कहना है कि विधानसभा चुनाव व नोएडा एक्सटेंशन मामले के कारण कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई। अधिकारियों के साथ जल्द बैठक कर जल्द कार्रवाई शुरू की जाएगी। | |
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