02/08/2013 सरकार का रुख जुदा?
लखनऊ। सपा सरकार बनने के बाद प्रदेश के लोगों को तीस से अधिक सांप्रदायिक तनाव तथा कई दंगों को झेलना पड़ा। अधिकांश मामलों में कार्रवाई हुई, लेकिन कुछ समय बाद अफसरों को अच्छी तैनाती दे दी गई। दुर्गा शक्ति नागपाल के मामले में सरकार का रुख जुदा है।
उनके मामले में सिर्फ आशंका पर कार्रवाई कर दी गई, मामला भी दीवार गिरवाने का बताया गया। अंबेडकरनगर जिले में सांप्रदायिक तनाव रोकने में अक्षम होने पर पुलिस अधीक्षक डीपी श्रीवास्तव को जून में निलंबित कर दिया गया। वह अभी तक निलंबित हैं। बीते वर्ष प्रतापगढ़ के आस्थान में सांप्रदायिक दंगे के बाद पुलिस अधीक्षक ओपी सागर और एक उपाधीक्षक बीएस राणा को निलंबित कर दिया गया था, लेकिन कुछ माह बाद ही बहाल कर दिए गये। ओपी सागर इस समय पुलिस अधीक्षक नागरिक सुरक्षा के पद पर तैनात हैं। फैजाबाद दंगे के बाद सरकार ने पुलिस महकमे के ताकतवर और सत्ता के करीब माने जाने वाले अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था जगमोहन यादव को हटाया था। श्री यादव अभी सीबीसीआइडी के प्रमुख हैं। फैजाबाद दंगे में ही एसपी सिटी राजेंद्र यादव समेत कई अफसरों को निलंबित किया गया। राजेंद्र यादव के बारे में पूर्व डीजीपी एसी शर्मा ने कड़ी टिप्पणी की थी, लेकिन राजेंद्र को भी बहाल किया गया। गौतमबुद्धनगर में बवाल के बाद एसएसपी शलभ माथुर को हटाकर डीजीपी कार्यालय से संबद्ध किया गया, लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें गोरखपुर का एसएसपी बना दिया गया। अब वह आगरा के एसएसपी हैं। इसके पहले मथुरा में हुए बवाल के बाद एसएसपी धर्मवीर को डीजीपी कार्यालय से सम्बद्ध किया गया, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें महत्वपूर्ण तैनाती दे दी गयी। धर्मवीर इन दिनों अलीगढ़ के एसएसपी हैं। इनके अलावा और भी कई उदाहरण हैं, जब किसी गंभीर बवाल पर पुलिस अफसर को वहां से हटाकर दूसरी जगह महत्वपूर्ण तैनाती दे दी गयी।
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