17/07/2013 इशरत एनकाउंटर: पेन ड्राइव के कारण मुश्किल में पड़ सकते हैं अमित शाह
नई दिल्ली।। इशरत जहां कथित फर्जी एनकाउंटर केस में सीबीआई ने भले ही अपनी पहली चार्जशीट में किसी नेता का नाम शामिल नहीं लिया है, लेकिन वह इस केस की तह तक जाने में लगी है।
सीबीआई ने गुजरात हाई कोर्ट को दो पेन ड्राइव सौंपे हैं जिनमें गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह और पुलिस ऑफिसरों की बातचीत है। बातचीत एनकाउंटर की जांच से संबंधित है। जब मुंबई की 19 साल की स्टूडेंट इशरत जहां के साथ तीन और लोगों को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में कथित एनकाउंटर में मार डाला गया था तब अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री थे। इस एनकाउंटर में गुजरात क्राइम ब्रांच के सीनियर ऑफिसर शामिल थे।
तब पुलिस ने दावा किया था कि एनकाउंटर में मारे गए लोग आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे। गुजरात पुलिस को आईबी ने बताया था कि लश्कर का यह ग्रुप मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने आया था। इशरत जहां की हत्या के 9 साल बाद सीबीआई ने कोर्ट में पहली चार्जशीट कई सबूतों के साथ इस महीने दायर की है। सीबीआई ने इस मुद्दे पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है कि इशरत आतंकी थी या नहीं। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में यह खुलकर कहा है कि इशरत जहां का एनकाउंटर फर्जी था। सीबीआई ने यह भी नहीं बताया है कि इस ग्रुप की हत्या की सूचना नरेंद्र मोदी या अमित शाह को पहले से थी या नहीं। सूत्रों के मुताबिक पेन ड्राइव में बातचीत अमित शाह की पुलिस ऑफिसर जी.एल. सिंघवी से है। जी.एल. सिंघवी उन सात पुलिस ऑफिसरों में से एक हैं जिन पर हत्या और सबूतों को नष्ट करने के आरोप हैं। सीबीआई के मुताबिक सिंघल और अमित शाह ने 2009 के अगस्त और सितंबर महीने में फोन पर बातचीत की थी। जांच एजेंसी के मुताबिक मंत्री और ऑफिसरों के बीच दूसरी बातचीत फोन पर नवंबर 2011 में हुई थी। यह बातचीत मुख्य रूप से इशरत जहां हत्या की जांच को पटरी से पर थी।
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